गांधी नहीं बन सकते हैं तो अपनी सहूलियत के हिसाब से नेहरू, पटेल, सुभाष, अम्बेडकर, कलाम कुछ भी बनने की कोशिश कीजिये। मगर ऐसी कुंठा मत पालिये कि जिन्ना और सावरकर की समाज को जलाने वाली राह पर निकल पड़े। देख रहा हूँ कई पढ़े लिखे, संवेदनशील मित्र जिन्ना और सावरकर बनने की राह पर निकल पड़े हैं। मौका मिलेगा तो वे गोड़से भी बन जाएंगे। उन्हें किसी भी कीमत पर पहचान चाहिए। चाहे उनकी कुंठा की आग में देश जल क्यों न जाये।
मजहब ने आपको अंधा बना दिया है
किताबों में पढ़ी जाने वाली ये पंक्तियां कल बिल्कुल सच मालूम हुई। कल एक वीडियो शेयर किया। दंगाइयों के भय से सहमा एक परिवार छत पर छुपा था। वीडियो शेयर करते हुए मैंने लिखा कि शायद यह वीडियो आपकी मरी हुई संवेदना को जिंदा कर सके। आज जाकर उस वीडियो पर आए कमेंट को पढ़िये। पढ़कर मुझे खुद शर्म आती है। कॉमेंट करने वाले ज्यादातर लोग मेरे मित्र और पूर्व परिचित हैं। उनकी बातों में जो खून का स्वाद है, वह मैं महसूस कर रहा हूँ। मन तीता हो गया है।
एक परिवार अगर छत पर छुपा भयभीत हो रहा है तो यह दृश्य सिर्फ हमारे मन में हिंसा को गलत ठहराने का भाव जगा सकता है। उनलोगों को अपना मन बदलने के लिये प्रेरित कर सकता है, जो सोचते हैं दूसरे धर्म वालों को इसी तरह सजा मिलनी चाहिये। वे आतंकवादी हैं। अरे वे आतंकी नहीं बहुत आमलोग हैं, जो इस वीडियो में दिखता है।
मगर आपको क्या दिखा। आपको दिखा कि वह मुसलमान परिवार है। वीडियो हिंदुओं का होना चाहिये। आप लगे गालियां देने। खूब गालियां दीजिये। अगर मुझे गाली दे देने से आपके मन की नफरत कम होती हो जो जी भर कर दीजिये। मगर अपने मन में किसी के खून खराबे का शौक मत पालिये। मजहबी कारणों से इंसान के बदले खूंखार जानवर मत बनिये। जानवर भी इतना बुरा नहीं होता कि नफरत में इस कदर डूबा हो।
आप सब इस बात से खुश हैं कि दंगा सही हो रहा है। दिल्ली पुलिस ठीक कर रही है। कपिल मिश्रा हिंदुओं का असली नायक है। मुसलमानों को इसी तरह कत्लोगारत कर देना चाहिए। मोदी और शाह ने इन्हें ठीक सबक सिखाया है। अगर हां, तो आप आज से मेरे लिए एक खूनी राक्षस के सिवा कुछ नहीं हैं। दोस्त तो बिल्कुल नहीं हैं। अगर आप मानवता के मामले में अपने मजहब से ऊपर नहीं उठ सकें तो आप मीठी बातें करते हो या दंगाई नारे लगाते हो। आप एक बराबर हैं। बहुत हो गया। मुझे ऐसी दोस्ती, ऐसे रिश्ते नहीं चाहिए। इन राक्षसों के साथ के बदले अकेला रहना ठीक है। आपको अगर मेरी बात गलत लग रही है तो खुद विदा लीजिये। मैं तो अब ऐसे घटिया लोगों से विदा लूंगा ही।
पुष्य मित्र के फेसबुक वाल से साभार