मास्क जरूरी है। केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक हर कोई मास्क लगाए तो संक्रमण का खतरा 70% तक कम हो सकता है। नहीं हो तो एक कोरोना पाॅजिटिव से 60 दिनों में 59604 लोग संक्रमित हो सकते हैं। मुंगेर के एक मरीज के मरने के बाद अबतक उसकी चेन के संक्रमित 14 लोग सामने आ चुके हैं। जयपुर में एक से 33 का भी मामला सामने आ चुका है। आज से यह अभियान…ताकि सड़क पर निकले हर व्यक्ति से संक्रमण के खतरे को घटा सकें।
दुनिया को तेजी से जकड़ रहे काेराेनावायरस से बचने के िलए फेस मास्क अहम बचाव बनकर उभरा है। हालांकि लैंसेट जरनल में प्रकाशित ताजा शाेध बताता है कि यह वायरस सर्जिकल मास्क पर एक हफ्ते तक जिंदा रहता है। यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के शाेधकर्ताअाें का कहना है कि यह वायरस अनुकूल वातावरण िमलने पर अधिक समय तक जिंदा रहता है। इसके व्यवहार का पता लगाने के िलए परीक्षण िकया गया कि यह कमरे के तापमान पर अलग-अलग सतहाें पर िकतने समय जीवित रह सकता है। इससे पता चला कि यह प्रिंटिंग अाैर िटश्यू पेपर पर तीन घंटे से भी कम समय तक रहता है। लकड़ी और कपड़ाें पर अगले दिन मर जाता है। वहीं ग्लास अाैर बैंकनाेट पर चाैथे दिन तक, जबकि स्टील अाैर प्लास्टिक पर चार से 7 दिन तक चिपका रह सकता है।
कटाई-सिलाई भी नहीं ज्यादा मुश्किल
कपड़े को दो भाग में सीधा-सीधा मोड़ लें। अब इसे 9.5 इंच/6.5 इंच के आकार में काट लें। 6.5 इंच वाले हिस्से को तीन स्तर में प्लेट बना मोड़ लें और किनारे से सिलाई कर लें। अब फीते तो 9.5 इंच वाले किनारे की तरफ सिल दें या मजबूती से टांक दें। कपड़ा डबल फोल्ड होने के कारण इससे दोहरी रक्षा वैसे ही हो गई, फिर भी सिलाई के समय एक-एंक इंच का दो प्लेट बना दें।
घरेलू कपड़े से बना सकते हैं मास्क
20/20 इंच का कोई सूती कपड़ा- नया हो या पुराना मगर साफ और टिकाऊ, मच्छरदानी बांधने वाला फीता या जूते का चार नया-साफ फीता या 7-7 इंच लंबा सिलाई में काम आने वाला इलास्टिक लें। यह सब नहीं मिले तो पायजामा वाला फीता भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सिलाई मशीन हो तो बहुत अच्छा, न हो तो सुई-धागा चाहिए।