फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो अब भारत में शराब की होम डिलीवरी करने की तैयारी में है। रॉयटर्स की रिपोर्ट में के मुताबिक जोमैटो के CEO मोहित गुप्ता ने कहा है, ‘अगर टेक्नोलॉजी की मदद से शराब की होम डिलीवरी की जाती है तो शराब के जिम्मेदारी भरे खपत को बढ़ावा दिया जा सकता है।’ बता दें देश के अलग-अलग राज्यों में शराब के सेवन की कानूनी उम्र 18 से 25 साल की है। जोमैटो ने कहा कि वो उन्हीं एरिया को टार्गेट करेगी जहां कोरोना वायरस का संक्रमण बेहद कम है। इस बीच पंजाब सरकार गुरुवार यानी आज से शराब की होम डिलीवरी कराने जा रही है। हालांकि, इस दौरान राज्य में शराब की दुकानें भी खुली रहेंगी।
मौजूदा समय में देशभर में शराब की सबसे अधिक डिमांड देखने को मिल रही है। अब कंपनी की तैयारी है कि इसका लाभ उठाया जाए। बता दें कि लॉकडाउन 3.0 के बाद कंपनी ने ग्रोसरी डिलीवरी की भी शुरुआत कर दी है। दरअसल, रेस्टोरेंट बंद होने के बाद कंपनी के कारोबार पर इसका असर देखने को मिल रहा था, जिसके बाद जोमैटो ने ग्रोसरी डिलीवरी करना भी शुरू कर दिया।
होम डिलीवरी के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं
अगर कानून की बात करें तो इस समय शराब की होम डिलीवरी के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। एल्कोहल इंडस्ट्री बॉडी इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन्स एसोसिएशन आफ इंडिया (ISWAI) लगातार इस बात की मांग कर रहा है कि शराब की होम डिलीवरी को सरकार मंजूरी दे। अगर सरकारी इसकी मंजूरी दे देती है तो जोमैटो के लिए शराब की होम डिलीवरी का रास्ता साफ हो जाएगा। ISWAI के एग्जीक्युटिव चेयरमैन अमृत किरण सिंह का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से राज्यों को राजस्व के मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है। ऐसे में उन्हें एल्कोहल की होम डिलीवरी से रेवेन्यू बढ़ाने में मदद मिल सकती है. उन्होंने की सबसे बड़ी चुनौती है कि राज्यों को शराब की बिक्री से राजस्व मिलता रहे। ऐसे में जरूरी है कि रिटेल स्टोर्स से भीड़ कम की जाए।
ठेकों पर कई किलोमीटर लंबी लाइनें
देशभर में लॉकडाउन की वजह से शराब की दुकानें 25 मार्च से ही बंद थी। इसी सप्ताह इन दुकानों को खोलने की मंजूरी दी गई, जिसके बाद शराब खरीदने के लिए ठेकों पर कई किलोमीटर लंबी लाइनें देखने को मिलीं। इस भीड़ को काबू में करने के लिए दिल्ली सरकार ने 70 फीसदी ‘स्पेशल कोरोना फीस’ लगाने का फैसला लिया था। वहीं, मुंबई में शराब की दुकानें खोलने के दो दिन बाद ही इन्हें बंद करना पड़ा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में भारत में कुल 27.2 अरब डॉलर यानी करीब 2.04 लाख करोड़ रुपये का रहा था।