नई दिल्ली: यंग इंडियन/नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार के लिए बुरी खबर आई है. टैक्स ट्रिब्यूनल ने मामले की सुनवाई करने वाले गांधी परिवार के दावे को खारिज कर दिया है. ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि यंग इंडियन कोई चैरिटेबल ट्रस्ट नहीं है.
टैक्स ट्रिब्यूनल के इस फैसले का मतलब यह हुआ कि अब यंग इंडियन की 100 करोड़ रुपए की टैक्स फाइल खुलने का रास्ता साफ हो गया है.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ट्रिब्यूनल ने आदेश में कहा कि कंपनी जिस तरह की गतिविधियां कर रही थी, उसे चैरिटेबल नहीं कहा जा सकता.
गांधी परिवार का दावा है कि यंग इंडियन एक चैरिटेबल ट्रस्ट है और इसलिए इसे टैक्स से छूट मिलनी चाहिए, लेकिन ट्रिब्यूनल ने इस दावे को स्वीकार नहीं किया. ट्रिब्यूनल ने कहा कि कंपनी की गतिविधियां चैरिटेबल संस्था की श्रेणी में नहीं आती. ऐसे में आवेदकों की टैक्स में छूट की मांग को खारिज किया जाता है.
यंग इंडियन कंपनी ने नेशनल हेराल्ड का अधिग्रहण किया है. अब चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में इस अधिग्रहण पर भी सवाल उठ सकते हैं. यंग इंडियन में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, आस्कर फर्नांडिस, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे शेयर होल्डर हैं.
क्या है केस
नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत 1938 में जवाहर लाल नेहरू ने की थी. 2008 में अखबार को कर्ज में होने के कारण बंद करना पड़ा था. कांग्रेस ने 2010 में यंग इंडिया प्राइवेट कंपनी बनाई, जिसमें राहुल गांधी और सोनिया गांधी की हिस्सेदारी 38-38 फीसदी रखी गई. बाकी 12-12 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज को दी गई.
कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगा कि पार्टी ने बिना किसी ब्याज के एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड कंपनी को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया. वहीं यंग इंडियन ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति सिर्फ 50 लाख रुपये में खरीद ली थी, जिसकी कीमत करीब 1600 करोड़ रुपये थी.
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि हेराल्ड की संपत्ति को गलत तरीके से इस्तेमाल में लिया गया. सुब्रमण्यम स्वामी ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ टैक्स चोरी और धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया.