सोशल मीडिया मे एक खबर वायरल हो रही है कि बाबा रामदेव के पतंजली प्रॉडक्ट में भी हलाल वाला लोगो लगा है । कई लोगों ने कहा कि बाबा रामदेव के प्रॉडक्ट में मीट मिला है इसलिये हलाल वाला लोगो लगा है ।
हरिद्वार में योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ ने हलाल प्रमाणपत्र पर अपना पक्ष स्पष्ट किया है। योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियां यह प्रचार कर रही हैं कि स्वामी रामदेव के पतंजलि प्रतिष्ठान ने हलाल मीट के निर्यात के लिए हलाल प्रमाणपत्र लिया है। वास्तव में यह दुष्प्रचार है। कंपनियां चाहती हैं कि भारत में पतंजलि के उत्पादन बिकने बंद हो जाएं। वास्तव में यह प्रमाणपत्र अरब देशों में आयुर्वेदिक दवाओं के निर्यात के लिए लिया गया है।
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि किसी भी प्रकार की आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक या एलोपैथिक दवा निर्यात के लिए भी इस प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। अरब देशों में पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं एवं हर्बल उत्पादों की भारी मांग है।
इसी कारण पतंजलि ने हलाल प्रमाणपत्र अरब देशों में निर्यात के लिए प्राप्त किया। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि पतंजलि के उत्पादन पूरी तरह शाकाहारी पदार्थों और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों पर आधारित हैं। यही हमारा ध्येय है।
क्या होता है ‘हलाल’ और ‘हराम’?
आम तौर पर ‘हलाल’ शब्द मांस वगैरह के सन्दर्भ में इस्तेमाल होता हुआ सुना होगा आपने इससे पहले. लेकिन इसका मतलब सिर्फ मांस तक सीमित नहीं है. इस्लामिक काउंसिल के अनुसार,
‘हलाल’ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है कानून सम्मत या जिसकी इजाज़त शरिया (इस्लामिक कानून) में दी गई हो. ये शब्द खाने-पीने की चीज़ों, मीट प्रोडक्ट्स, कॉस्मेटिक्स, दवाइयां, खाने में पड़ने वाली चीज़ों- सब पर लागू होता है. ‘हराम’ उसका ठीक उलट होता है. यानी जो चीज़ इस्लाम में वर्जित है. लिपस्टिक से लेकर दवाइयां तक- सब कुछ ‘हलाल’ और ‘हराम’ की श्रेणी में बांटे जा सकते हैं.
किस तरह का मांस ‘हलाल’ है?
#ऐसे जानवर का मांस, जिसे अल्लाह का नाम लेकर ज़िबह किया गया हो. तेज़ धार वाली छुरी से.
#जानवर ने दूसरे जानवरों को मरते हुए न देखा हो.
#जानवर को ज़िबह करने से पहले अच्छी तरह से देखभाल कर रखा गया हो.
#जानवर के सामने छुरी तेज़ न की गई हो.
किस तरह का मांस ‘हराम’ है?
#ऐसा जानवर, जिसे अल्लाह का नाम लेकर ज़िबह न किया गया हो.
#एक झटके में मारा गया जानवर.
#ऊंचाई से गिर कर मरे जानवर का मांस.
#सूअर, शेर, कुत्ते, भेड़िए का मांस.
भारत में बेचने के लिए हलाल लोगो क्यों?
इमरान ने बताया कि जिस तरह शाकाहारी लोग खाने के पैकेट्स पर ग्रीन डॉट देखकर मानते हैं कि खाना शाकाहारी है, उसी तरह इस्लाम को मानने वाले लोग हलाल प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करना प्रेफर करते हैं. उनके लिए ‘हलाल’ लोगो का मतलब है कि ये प्रोडक्ट बनाने में सारी गाइडलाइंस का ध्यान रखा गया है.
हलाल ‘बिजनेस’?
जैसा आपने ऊपर पढ़ा, इस तरह के मैसेज चलाए जा रहे हैं कि नमक या सत्तू जैसी चीज़ों को हलाल सर्टिफिकेट की क्या ज़रूरत है? दुनिया के इस्लामिक देश (कुवैत, मलेशिया, क़तर, लीबिया इत्यादि) और कई दूसरे देश, जहां मुस्लिम जनसंख्या काफी है, वहां व्यापार करने के लिए हलाल सर्टिफिकेट होना आवश्यक है. OIC यानी आर्गेनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन के तहत आने वाले सभी 57 देश इसमें शामिल हैं.
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