कोरोना वायरस के दौर में रिश्ते भी अब तार-तार होते जा रहे है. जो पहले नहीं हुआ वो अब होने लगा है. कल तक जिन पर जान छिड़कते थे वो आज अपने प्रियजनो के कोरोना संक्रमित होने पर उन से दूरी बनाने लगे है. लोग अपने परिवार के सदस्यों के मौत पर उनके शव को लेने से इंकार कर दे रहे है. ऐसा ही दुखद मामला दिल्ली के एम्स से सामने आया है.
दिल्ली में कोरोना संक्रमित एक मासूम की एम्स में मौत हो गई. कल तक जो माता पिता अपने कलेजे के टुकड़े पर जान छिड़कते थे वो आज उसके शव को लेने तक से इंकार दिया. जब माता पिता शव छोड़ कर अस्पताल से भाग गए तो एम्स प्रबंधन ने मासूम बच्चे का दिल्ली में ही अंतिम संस्कार करा दिया.
दरअसल ये मामला रामपुर के मिलक तहसील क्षेत्र के गांव भैंसोड़ी शरीफ का है. इस दम्पति के नौ माह के बच्चे के सिर में जन्म से ही एक गांठ थी. जिसे बाद में डाक्टरों ने ब्रेन ट्यूमर बताया था. तभी से बच्चे का इलाज एम्स में चल रहा था. ट्यूमर के आपरेशन के लिए 29 मई की तारीख तय थी. लिहाजा परिजन 26 मई को उसे एम्स ले गए थे. वहां पर नियमानुसार बच्चे का कोरोना टेस्ट कराया गया. बताया जाता है कि इसी बीच बच्चे ने 29 मई को आपरेशन के दौरान दम तोड़ दिया. इसी दौरान उसकी कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ आई. इसकी जानकारी जैसे ही मासूम के मां-बाप मिली वो शव एम्स में ही छोड़कर वहां से भाग गए.
बाद में, एम्स प्रशासन ने इस पर रामपुर प्रशासन से संपर्क साधा और बच्चे के मां-बाप को क्वारंटाइन कराया साथ ही उनके सैंपल जांच के लिए भेज दिए. जब एम्स प्रबंधन ने मां-बाप से मासूम के अंतिम संस्कार के बारे में पूछा, तो उन्होंने एम्स प्रबंधन को अंतिम संस्कार की अनुमति दे दी.
इस पुरे मामले पर जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह ने बताया कि बच्चे के पिता मोटर मैकेनिक हैं. उनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर नहीं थी फिर भी प्रशासन ने अपने स्तर पर शव लाने की व्यवस्था करायी. इसके बावजूद मां-बाप ने शव लेने से इंकार कर दिया. जब एम्स प्रशासन को ये जानकारी दी गई तो एम्स प्रशासन ने नियमानुसार मां-बाप से सहमति पत्र की मांग की. जिसे मृतक मासूम के पिता ने लिख कर सहमति दे दी