कोरोना के भय से घरवालों ने घर में नहीं घुसने दिया, जंगल में जीवन बिता रहे हैं प्रवासी वाली खबर तो आपने हवाबाज मीडिया पर पहले भी पढ़ी है । लेकिन ये मामला उससे ठीक उलट है, यहाँ मरने के बाद कब्रिस्तान वालों ने दफनाने तक नहीं दिया । मामला हैदराबाद का है ।
हैदराबाद के रहने वाले मोहम्मद खाजा मियां की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. परिजन उन्हें दफनाने के लिए एक से लेकर दूसरे कब्रिस्तान के चक्कर लगाते रहे. कुल छह कब्रिस्तान. लेकिन सभी ने उन्हें अपने यहां दफनाने से इनकार कर दिया. वजह? इन कब्रिस्तानों के केयर टेकर को आशंका थी कि खाजा मियां की मौत कोरोना वायरस से हुई है. आखिर में संदीप और शेखर नाम के दो युवकों की मदद से उनका शव हिंदुओं के श्मशान में दफनाया गया.
खाजा मियां के एक रिश्तेदार ने ‘इंडिया टुडे’ से बात की. कहा,
“ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक मुस्लिम के शव को हिंदुओं के श्मशान में दफनाया गया हो. लेकिन हमें वहां दफनाने नहीं दिया गया. हमारा गांव यहां से 200 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में है. ऐसे में हम क्या करते.”
‘इंडिया टुडे’ के हैदराबाद संवाददाता आशीष पांडे के मुताबिक, वक्फ बोर्ड ने शव को दफनाने से इनकार करने वाले सभी छह केयर टेकर के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है.
हैदराबाद के बाहरी इलाके में अलग कब्रिस्तान
ये पहला मामला नहीं है, जब हैदराबाद में किसी के शव को दफनाने से इनकार किया गया हो. इसी के चलते शहर के बाहरी इलाके में COVID-19 से जुड़ी मौतों के लिए अलग कब्रिस्तान बनाया गया है. हैदराबाद के सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की कोशिशों के बाद वक्फ की 50 एकड़ ज़मीन पर ये कब्रिस्तान बनाया गया है. इसमें कम से कम 14 ऐसे शवों को दफनाया गया है, जिन्हें स्थानीय कब्रिस्तान में दफनाने की परमिशन नहीं मिली.
इस कब्रिस्तान की देख-रेख में जुटे अहमद सादी ने बताया कि यहां स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के हिसाब से शवों को दफनाया जाता है.
आशीष पांडे के मुताबिक, हैदराबाद के मुस्लिम बहुल इलाकों में AIMIM की पहुंच अच्छी है. इन इलाकों में पार्टी लोगों से अपील कर रही है कि इस तरह के विरोध के मामलों में शामिल न हों. साथ ही उन्हें कोरोना वायरस से बचने के तरीकों को लेकर जानकारी दे रही है.