नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए किसानों ने आंदोलन तेज कर दिया है। किसानों ने अंबानी-अडानी के सामान के बहिष्कार की बात कही थी। गुरुवार को सोनीपत के एक रिलायंस स्टोर पर किसानों ने ताला जड़ दिया। सिंघु बॉर्डर पर गुरुवार को किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि कानूनों को रद्द करने के संबंध में अब तक कोई फैसला नहीं हुआ, इसलिए अब प्रदर्शनकारी ट्रेनें रोकेंगे। जल्द ही इसकी तारीख की घोषणा करेंगे। किसानों ने कहा कि प्रदर्शन को दो हफ्ते से ज्यादा हो चुके, लेकिन सरकार का रुख कानून वापसी का नहीं दिख रहा। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है, केंद्र सरकार इस पर कानून कैसे ला सकती है। हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा कि केंद्र ने एमएसपी की मांग स्वीकार ली है, अब फैसला किसान संघों पर है।
दूसरी ओर नए संसद भवन की नींव रखने के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने सिखों के प्रथम गुरु का उल्लेख किया। कहा- ‘सिख गुरु नानकदेव जी ने बताया है- जब तक दुनिया रहे, तब तक संवाद चलते रहना चाहिए। लोकतंत्र में आशावाद को जगाए रखना हमारा दायित्व है।’मोदी ने आगे कहा कि देश में पॉलिसी में अंतर हो सकता है, लेकिन हमारा अंतिम लक्ष्य लोगों की सेवा ही है। ऐसे में वाद-संवाद संसद के भीतर हों या संसद के बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प झलकना चाहिए। बता दें कि किसानों ने आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करते हुए हाईवे जाम करने दिल्ली आने का रास्ता ब्लॉक करने और भाजपा नेताओं के विरोध की बात कही है।
किसान-सरकार वार्ता को तैयार, पर पहल का इंतजार
सरकार और किसान दोनों फिर वार्ता को तैयार हैं, बस एक दूसरे की पहल का इंतजार है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘किसी भी समय किसान चर्चा करने आएं, हम तैयार हैं। अगर किसानों को लगता है कोई बात हमारे प्रस्ताव में रह गई या शब्दावली में कमी है तो भी वो बताएं। चर्चा अभी टूटी नहीं, ऐसे में आंदोलन तेज करने की घोषणा ठीक नहीं। जो प्रस्ताव सरकार ने भेजा, उस पर विचार करें, फिर जब आप कहेंगे हम चर्चा करेंगे।’ जवाब में किसान नेताओं ने कहा, ‘हमने बातचीत का रास्ता बंद नहीं किया, सरकार हमें घुमा रही है, इसलिए आंदोलन को तेज किया। सरकार जब दूसरा प्रस्ताव भेजेगी तो हम उस पर विचार और वार्ता करेंगे।’