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क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि भारत में ऐसा गांव भी है, जहां लोग दूध खरीदते या बेचते नहीं हैं. अगर किसी को जरूरत होती है, तो उसे मुफ्त में ही दूध उपलब्ध कराया जाता है. यहां तक कि ग्रामीणों को एक लीटर दूध की कीमत का भी अंदाजा नहीं है. अगर आप इस बात को नहीं मानते, तो हम बताते हैं कि आंध्र प्रदेश के गंजीहली गांव (Ganjihalli village) में यह रिवाज सालों से चला आ रहा है.
कुर्नूल जिले के गोनगंडला मंडल के 1100 परिवारों वाले गंजीहली गांव में 4750 लोग रहते हैं. यहां 120 गाय और 20 भैंस हैं. इनके मालिक हर रोज करीब एक हजार लीटर दूध का उत्पादन करते हैं. खास बात है कि इस उत्पादन को डेयरी या लोगों को बेचा नहीं जाता है. साथ ही ग्रामीण इसे खरीदते भी नहीं हैं. यहां दूध बगैर किसी भुगतान के दिया जाता है. ग्रामीण सालों से इस नियम को मान रहे हैं.
40 साल पुरानी है कहानी
करीब चार दशक पहले गांव में एक बड़े साहब रहते थे. यहां उनके नाम की एक दरगाह भी है. बड़े साहब को गांव के नागी रेड्डी से मुफ्त में दूध मिलता था. एक बार उनके बेटे हुसैन साहब हाथ में कटोरा लेकर रेड्डी के घर पर दूध लेने के लिए गए, लेकिन गाय की मौत होने के चलते उन्हें दूध नहीं मिला. इस बात की जानकारी लगी, तो बड़े साहब ने हुसैन साहब को गांव के किसी अन्य घर से दूध लाने के लिए कहा.
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हालांकि, उन्हें सभी के मना करने के चलते किसी भी घर से दूध नहीं मिला. कहा जाता है कि इसके बाद उन्होंने नागी रेड्डी की मृत गाय को एक जीवनदान दिया. उन्होंने कहा था कि गांववालों को दूध बेचना या खरीदना नहीं चाहिए और इसे सभी लोगों को मुफ्त में देना चाहिए. श्राप दिया गया कि जो परिवार इस सलाह को नहीं मानेंगे वे बर्बाद हो जाएंगे. बड़े साहब यह भी कहा कि किसी को भी गाय को नहीं मारना चाहिए और ना ही उनके खाने का नुकसान करना चाहिए.
कुछ गांववालों का कहना है कि जिन परिवारों ने इन नियमों को पालन नहीं किया, वे आर्थिक रूप से टूट गए. इस नियम को गांव का हर परिवार मानता है. गांव में होटल या चाय की दुकान वालों को कारोबार के लिए दूसरे गांव से दूध खरीदना पड़ता है.