मामले में विवादित जमीन पर अपने मालिकाना हक़ का दावा छोड़ दिया है। इस सम्बन्ध में आज ही बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करेगा। दावा छोड़ने के लिए बोर्ड की ओर से कुछ शर्तें रखी गई है। बोर्ड ने माँग की है कि ‘THE PLACES OF WORSHIP (SPECIAL PROVISIONS) ACT, 1991 ACT NO. 42 OF 1991’ को पूर्णरूपेण लागू कर इसे अभेद्य बनाया जाए। साथ ही सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने यह भी कहा है कि अयोध्या में 22 मस्जिदों के रख-रखाव की जिम्मेदारी सरकार उठाए।
अमर उजाला के मुताबिक, अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि मध्यस्थता कमेटी के सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू के जरिये सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की ओर से दावा छोड़ने की बात सामने आई है, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में ऐसा कुछ भी दायर नहीं हुआ है, यह अफवाह है. हम सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानेंगे.
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने कहा कि वह इस जमीन पर अपने दावे को छोड़ने के लिए तैयार है लेकिन सरकार को अयोध्या में 22 मस्जिदों की देखरेख का जिम्मा लेना होगा. वक़्फ़ बोर्ड यह भी चाहता है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 को सख्त बनाया जाए.
सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने अंतिम शर्त रखी है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के नियंत्रण में जितने भी धार्मिक स्थल हैं, उनकी स्थिति की जाँच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट एक समिति बनाए। उल्लेखनीय है कि अयोध्या विवाद में मुस्लिमों की छह पार्टियॉं है। लेकिन सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के पीछे हटने से उन सब के लिए भी दबाव वाली स्थिति होगी।
इससे पहले सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के नेताओं और साधु-संतों के बीच एक बैठक भी हुई, जिसमें इस फ़ैसले को लेकर चर्चा हुई थी। इस बैठक में एक-दूसरे को मिठाई भी खिलाई गई। अयोध्या मामले में आज बुधवार (अक्टूबर 16, 2019) को सुनवाई का अंतिम दिन है और सुप्रीम कोर्ट इस मामले को और लम्बा खींचने के पक्ष में नहीं है।
उधर, राम मंदिर मामले की अदालती सुनवाई को लेकर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा है कि आज शाम 5 बजे तक इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने सभी पक्षों को अंतिम दलील रखने के लिए समयावधि प्रदान की है, जिसके बाद सुनवाई समाप्त हो जाएगी।