Hyderabad के Dr. Priyanka Reddy rape and murder case ने निर्भया कांड की यादें ताजा कर दीं। असहाय युवा डॉक्टर के साथ वैसी ही हैवानियत दोहराई गई। फर्क ये था कि निर्भया कई दिन मौत के साथ लड़ी और डॉक्टर प्रियंका रेड्डी को लड़ने का मौका तक नहीं दिया गया। बलात्कार के बाद उसे जला दिया गया। पुलिस ने इस लोमहर्षक गैंगरेप कांड के चार आरोपियों को हिरासत में ले लिया है। मोहम्मद आरिफ, जोलू शिवा, जलू नवीन और चिंताकुंता चेन्नकेशवुलु ने ही डॉ। प्रियंका रेड्डी के साथ दरिंदगी करके उसे मौत के घाट उतार दिया। शुक्रवार की सुबह इस खबर के मीडिया में आते ही सनसनी फैल गई।
मुझे याद है निर्भया कांड पर लोगों ने कहा था कि लड़की रात में बाहर थी, पुरुष दोस्त के साथ थी इसीलिए ऐसा हुआ। लेकिन डॉक्टर प्रियंका अकेले, स्कूटर से अपने काम से घर वापस आ रही थी। इसलिए लोगों के मुंह बंद थे। लेकिन तब भी लोग कोई मौका नहीं चूकते victim blaming करने का। victim blaming का अर्थ होता है कि पीड़ित को ही दोषी ठहराया जाना। अफसोस, प्रियंका रेड्डी भी इससे बच नहीं पाई।
डॉ. प्रियंका रेड्डी के मामले में जब कुछ समझ नहीं आया तो गृह राज्य मंत्री मोहम्मद महमूद अली ने कहा कि उनके राज्य में तो अपराध बाकी राज्यों की तुलना में बहुत कम हैं, पुलिस एकदम अलर्ट है। वो तो गलती डॉक्टर की ही थी जो उसने 100 नंबर पर फोन करने के बजाए अपनी बहन को फोन किया। पुलिस को फोन करती तो बच सकती थी।
सुनिए किस तरह मंत्री जी ने इस घटना पर दुख जताया और बातों-ही बातों में ये भी बताकर चले गए कि गलती किसकी थी।
#WATCH Telangana Home Min on alleged rape&murder case of a woman veterinary doctor: We’re saddened by the incident,crime happens but police is alert&controlling it. Unfortunate that despite being educated she called her sister¬ ‘100’,had she called 100 she could’ve been saved. pic.twitter.com/N17THk4T48
— ANI (@ANI) November 29, 2019
एक और नमूना देखिए कि इस राज्य के मंत्री कार्रवाई करने में कितने तेज हैं। तालासनी श्रीनिवास यादव (Talasani Srinivas Yadav) डॉक्टर प्रियंका रेड्डी के घर शोक व्यक्त करने पहुंचे और उन्हें सरकारी नौकरी का ऑफर भी दे दिया। इसके साथ-साथ वहां जाकर महिला सदस्यों को सलाह भी दे आए कि वो नई तकनीक का इस्तेमाल करें और परेशानी के समय 100 नंबर पर ही कॉल करें।
100 नंबर पर कॉल करने को यहां के मंत्रियों ने मुद्दा बना लिया। इनके हिसाब से हर कोई सही था बस डॉक्टर प्रियंका ही गलत थीं जो उन्होंने 100 नंबर पर फोन नहीं किया।
100 नंबर की जगह बहन को कॉल करना स्वाभाविक था
बुधवार को हॉस्पिटल से लौट रहीं डॉक्टर प्रियंका टोल प्लाजा पर आईं तो पता चला कि उसका टू-व्हीलर पंचर था। रात 9.22 पर प्रियंका ने अपनी बहन को फोन करके ये सब बताया। प्रियंका ने ये भी बताया था कि एक व्यक्ति ने उसे मदद की पेशकश की है। कुछ देर बाद उसने दोबारा फोन करके बताया कि मदद करने वाला व्यक्ति कह रहा है कि आसपास की सभी दुकानें बंद हैं और पंक्चर ठीक करवाने के लिए गाड़ी को कहीं और ले जाना होगा। परिवार का कहना है कि जब प्रियंका ने अपनी बहन को फोन किया था तो वह डरी हुई थी। प्रियंका का कहना था कि हाईवे पर स्थित टोल प्लाजा के किनारे इंतजार करने में उसे अजीब महसूस हो रहा है। आसपास अजनबी लोग हैं, वो उसे घूर रहे हैं और उसे डर लग रहा है। प्रियंका ने अपनी बहन से कहा कि वह उससे फोन पर बात करती रहे। बाद में रात 9.44 पर प्रियंका का फोन स्विच ऑफ हो गया।
अब ऐसे में जब कोई महिला फंसी हो तो जाहिर सी बात है कि वो सबसे पहले अपने परिवार को ही फोन करेगी। परिवार से बात करते वक्त प्रियंका भी खुद में आत्मविश्वास बनाए रखने की कोशिश कर रही थी। और इससे घूरने वालों को भी ये मैसेज जाता कि उसके साथ लाइन पर कोई बना हुआ है। प्रियंका का 100 नंबर की जगह अपनी बहन को कॉल करना 100 नंबर की नाकामी ही बयां करता है। लोगों को उसपर भरोसा ही नहीं है। खुद को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस नहीं परिवार पर भरोसा करते हैं लोग। और वैसे भी ऐसी परिस्थिति में किसी लड़की को डर जरूर लगेगा लेकिन अपने सपनों में भी कोई ये नहीं सोच सकता कि उसके साथ इतना कुछ भयानक होने वाला है।
100 कितना भरोसेमंद
इसमें कोई शक नहीं कि पिछले कुछ समय में सरकार ने इमरजेंसी नंबर के काम करने के तरीके को बदल दिया है। अब 100 नंबर पर कॉल करने पर 10 मिनट के अंदर पुलिस मौके पर पहुंच जाती है। दूर दराज की बात हो तो 1 घंटा भी लगता है। लेकिन पहले 100 नंबर पर कॉल करने पर फोन जल्दी नहीं मिलता था और ज्यादातर फोन इंगेज ही रहता था। कहने का मतलब ये है कि 100 नंबर पर फोन लगाने का कोई फायदा नहीं होता, ऐसी धारणा लोग अपने मन में लेकर बैठे हैं। और ये धारणा इसीलिए बनी क्योंकि पहले इमरजेंसी नंबर की कार्यप्रणाली इतनी सक्षम नहीं थी। वो धारणा भी तो बदलने की जरूरत है। क्योंकि लोगों को जब इन इमरजेंसी नंबर पर विश्वास होगा तभी वो सबसे पहले मदद के लिए यहीं कॉल करेंगे।
लेकिन 100 नंबर की बात कहकर मंत्री जी ने पुलिस की मुस्तैदी का गुणगान करके जितनी सफाई से मामले से किनारा करने की कोशिश की, वो शर्मनाक है। क्योंकि पुलिस अगर इतनी ही अलर्ट होती तो टोल प्लाजा के आस-पास गश्त करती दिखती, वहीं जिस जगह डॉक्टर प्रियंका को जलाया गया, वो रात भर जलती रही, उसका शरीर कोयला बन गया लेकिन इस बीच कोई नहीं आया। आखिर कब तक कब हमारी सरकार खुद की नाकामी का ठीकरा पीड़ितों पर ही फोड़ती रहेगी…
पारूल चंद्रा वाया आईचौक