कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रही महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने 20 अप्रैल से प्रिंट मीडिया को लॉक डाउन से छूट तो दे दी है लेकिन हैकरों के जरिए घर-घर अखबार पहुंचाने पर रोक लगा दी है। उद्धव सरकार के इस फैसले का चौतरफा विरोध शुरू हो गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने कहा है कि केंद्र ने आगामी 20 अप्रैल से कई तरह के व्यवसाय फिर शुरू करने की छूट दी है। इसी तर्ज पर राज्य ने भी अधिसूचना जारी कर टीवी, डिजिटल मीडिया व अखबारों को छूट दी है। लेकिन शनिवार को इस अधिसूचना में परिवर्तन कर उद्धव सरकार ने घर-घर अखबार वितरण पर रोक लगा दी।
उन्होंने कहा कि जब स्वास्थ्य संगठनों ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि अखबार से कोरोना का कोई डर नहीं है, तो सरकार को फेक न्यूज के इस दौर में विश्वसनीय सूचना के माध्यम अखबारों के वितरण पर पाबंदी के निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।
महाराष्ट्र यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने इस निर्णय को मीडिया का गला घोंटनेवाला बताया है। अध्यक्ष प्रदीप मैत्रा ने कहा कि इस आदेश से प्रिंट मीडिया उद्योग व इससे जुड़े लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
महाराष्ट्र के मंत्रालय एवं विधिमंडल वार्ताहर संघ ने कहा है कि जब विश्व स्वास्थ्य संगठन कह चुका है कि अखबार सुरक्षित हैं, तो उनके वितरण पर प्रतिबंध समझ से परे है। बता दें कि न सिर्फ डब्ल्यूएचओ, बल्कि डॉक्टरों, वैज्ञानिकों व सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर भी स्पष्ट कर चुके हैं कि अखबार से कोरोना का कोई खतरा नहीं है।