छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के आरक्षण में किए गए संशोधन को क्रियान्वित करने के लिए अध्यादेश जारी कर दिया गया है । इस अध्यादेश के लागू होने के बाद छत्तीसगढ़ देश में सबसे अधिक 82% आरक्षण देने वाला राज्य बन जाएगा ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंगलवार देर शाम कैबिनेट बैठक में छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अध्यादेश-2019 जारी करने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया गया। इसके साथ ही सीधी भर्ती के पदों में अनुसूचित जनजाति के लिए 32 प्रतिशत और अनुसूचित जाति के लिए निर्धारित किए गए 13 प्रतिशत के अनुरूप ही छत्तीसगढ़ लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2003 के नियमों में संशोधन करने का निर्णय लिया। उत्तर प्रदेश और बिहार में अभी 50 फीसदी तक आरक्षण है।
किसे कितना आरक्षण
अनुसूचित जनजाति 32
अनुसूचित जाति 13
पिछड़ा वर्ग 27
सामान्य गरीब 10
(आरक्षण फीसदी में)
पहले क्या थी स्थिति
अनुसूचित जनजाति 32
अनुसूचित जाति 12
पिछड़ा वर्ग 14
सामान्य गरीब 0
राज्यों में कुल आरक्षण
हरियाणा 70
तमिलनाडु 68
महाराष्ट्र 68
झारखंड 60
राजस्थान 54
उत्तर प्रदेश 50
बिहार 50
मध्य प्रदेश 50
पश्चिम बंगाल 35
आंध्र प्रदेश 50
पूर्वोत्तर की स्थिति
अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम में अनुसूचित जनजाति के लिए 80 फीसदी आरक्षण है।
आरक्षण के खिलाफ याचिका
छत्तीसगढ़ में 82 फीसदी आरक्षण दिए जाने को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि 1993 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक इसे 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
बता दें कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में लोक पदों व सेवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश में के लिए लागू आरक्षण (Reservation) को 58 से बढ़ाकर 82 फीसदी कर दिया गया है। इसके तहत अनुसूचित जनजाति वर्ग को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग को 12 की जगह 13 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 की जगह 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया गया है। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को भी अब 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। इसके विरोध में ही हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।