कोरोना का खतरा देश पर मंडरा रहा है । संक्रमण है कि घटने का नाम नहीं ले रहा है । लेकिन इन सबके बीच एक और चीज है जो रूकने का नाम नहीं ले रही है वो है समय । इस समय के चक्कर में बहुत कुछ बदलने वाला है । इसी समय के कारण बच्चों की परीक्षा लेना मजबूरी बन गया है । लेकिन अभिभावक नहीं चाहते हैं कि ऐसा हो । इसके लिये बकायदा सु्प्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया था ।
आज सुप्रीम कोर्ट में सीबीएसई 10वीं और 12वीं की बची हुई परीक्षाओं को लेकर सुनवाई हो रही है। इधर महाराष्ट्र, दिल्ली और ओडिशा ने परीक्षा कराने में असमर्थता जताने का हलफनामा दिया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 10वीं और 12वीं की 1 से 15 जुलाई को होने वाली परीक्षा को कैंसिल कर दिया गया है.
जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ ने आईसीएसई बोर्ड से कहा था कि वह भी सीबीएसई के फैसले का अनुसरण कर सकता है. कोरोना के कारण कुछ अभिभावकों ने 1 से 15 जुलाई तक होने वाली बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने तथा इंटरनल असेसमेंट के आधार पर छात्रों का रिजल्ट बनाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी का प्रकोप बढ़ रहा है, परीक्षा के लिए बच्चों को भेजने से उन्हें खतरा हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने 17 जून को पेरेंट्स की याचिका के आधार पर सीबीएसई से कहा था कि वह 10वीं 12वीं की बची परीक्षाएं रद्द करने और इंटरनल असेसमेंट के आधार पर रिजल्ट जारी करने के अनुरोध पर विचार करे. कोर्ट ने इसके लिए बोर्ड को एक हफ्ते (23 जून) का समय दिया था. लेकिन 23 जून को बोर्ड ने कोर्ट में कहा था कि सरकार इस मसले पर विचार कर रही है और बुधवार शाम तक इस पर निर्णय ले लिया जायेगा. सीबीएसई ने कहा कि निर्णय की प्रक्रिया काफी आगे पहुंच चुकी है. हम विद्यार्थियों की चिंता से वाकिफ हैं. हम कोर्ट को निर्णय के बारे में परसों सूचित कर सकते हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी.
बताया जा रहा है कि अगर सीबीएसई 10वीं 12वीं की शेष परीक्षाएं रद्द करता है तो इंटरनल असेसमेंट के आधार पर स्टूडेंट्स को ग्रेड दिए जा सकते हैं. यह ग्रेडिंग सिस्टम पूरे देश में लागू होगा.ग्रेड देते समय उन पेपरों में स्टूडेंट्स का प्रदर्शन देखा जा सकता है जो हो चुके हैं.