बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही अपने दिए स्लोगन बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ को साकार करने में विफल रहे हों। लेकिन नवादा में बेटियों ने इसे सफल साबित किया है। नवादा में महिलाओं ने सामाजिक परम्पराओं की बंदिशों को तोड़ते हुए लड़कों को पीछे छोड़ना शुरू कर दिया है। चार बहुओं ने सदियों से चले आ रहे सामाजिक परंपरा की बेड़ियों को तोड़ते हुए अपने ससुर के पार्थिव शरीर को कंधा दिया है।
इतना ही नहीं बहुओं ने ससुर के शव को कंधा देकर नदी किनारे ले गयीं। जहां पूरी रीति रिवाजों के साथ उनका दाह संस्कार भी किया गया। गांववालों ने बहुओं के इस कदम की सराहना की और उनके साथ शव यात्रा में शामिल भी हुए।
ससुर की मृत्यु के बाद जब शव यात्रा निकली तो चारों बहुएं नदी किनारे भी पहुंची, जहां उनकी मौजूदगी में पूरे रीति रिवाज से ससुर का दाह संस्कार किया गया।
बहू शारदा देवी ने बताया कि अर्थी को कंधा देने का मकसद समाज को यह संदेश देना है कि किसी काम पर पुरुषों का एकाधिकार नहीं है। आपको बता दें कि मृतक नकुल पंडित की मौत ठंड लगने से हो गई थी।