निधी झा
पिछले दिनों सोशल मीडिया में एक खबर जंगल में आग की तरह फैली और फिर शांत हो गई । मामला चुकि बड़े लोगों से जुड़ा था इसलिये कुछ देर तक हंगामा हुआ लेकिन सब शांत हो गया फिर । खबर थी कि लॉकडाउन के उस कठिन घड़ी में जब पूरे देश से मजदूरों का पलायन बिहार की तरफ हो रहा था, वहीं सभी नियम-कानून को ताक पर रखकर बिहार के खगडि़या जिले से मजदूरों से भरी एक ट्रेन को तेलांगना भेजा गया ।
अब खबर ये है कि उसी तेलांगना के वारंगल वारंगल शहर के पास एक कुएं में 8 प्रवासियों सहित 9 लोगों के शव पाए गए हैं । तेलंगाना पुलिस का कहना है कि गुरुकुंट्टा गांव में गुरुवार को कुए से 4 शव बरामद किए गए वहीं शुक्रवार को पांच और शव निकाले गए हैं। मृतको में पश्चिम बंगाल से एक प्रवासी के परिवार के 6 सदस्य पाए गए हैं वहीं बिहार के 2 श्रमिक और एक स्थानीय निवासी भी शामिल हैं ।
वारंगल में बैग सिलाई का काम करने वाले मोहम्मद मकसूद (56), उनकी पत्नी निशा(48), उनके बेटे बुशरा(24) और 3 वर्षीय पोते का शव गुरुवार की रात को बरामद किया गया था । वहीं अगले ही दिन शुक्रवार को बचाव कर्मियों को पांच और शव मिले जिनमें से एक मकसूद का बेटा और बिहार के 2 प्रवासी तथा वहां के एक स्थानीय निवासी का शव शामिल है। पुलिस का कहना है कि वे अभी जांच कर रहे हैं कि क्या यह सामूहिक आत्महत्या है या फिर इनकी हत्या की गई है।
वारंगल पुलिस कमिश्नर वी. रविंद्र ने संवाददाताओं से कहा है कि इस मामले की खबर लगते ही उन्होंने जांच के लिए विशेष दल गठित कर दिया था। उनका यह भी कहना था कि हो सकता है लॉक डाउन के कारण उनके घर की परिस्थितियां कुछ खराब हो गई होंगी जिनके कारण वह परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया। उन लोगों के शरीर पर किसी भी तरह के बाहरी चोट के निशान नहीं है । इसलिये उनलोगों के मौत का कारण परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही मिल पाएगा । हम अभी मामले की जांच पड़ताल बड़ी ही गंभीरता से कर रहे हैं ।
इस मामले की रिपोर्ट गेसुकोंडा पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई थी और शवों को परीक्षण के लिए वारंगल के महात्मा गांधी अस्पताल में भेज दिया गया था। वहां की पुलिस का यह भी कहना है कि डॉग स्क्वाड और सुराग टीम को सुराग जुटाने के लिए सेवा में लगाया गया है ।
मकसूद वारंगल शहर के करीमाबाद इलाके में करीब 20 साल से रहता था मगर लॉक डाउन के कारण कुछ दिनों से बाहर था। दुकान के मालिक ने अपने गोदाम में उसके परिवार को आश्रय दिया था और शव गोदाम के पास कुएं में मिला।
अब सवाल ये उठता है कि जिन मजदूरों को बिहार सरकार ट्रेनों में भर-भरकर तेलांगना भेज रही है । वहाँ इन मजदूरों के मौत पर सरकार क्या एक्शन लेगी । अगर इन्हे अपने ही देस में रोजगार मिल जाता तो ये लोग क्यों परदेश जाते । सवाल बड़ा है उत्तर नदारद ।