बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार दूसरे राज्यों से लौटे करीब 1 करोड बिहारी निर्णायक वोटर होंगे। चुनाव आयोग ने इन्हें वोटर सूची में शामिल करने का फैसला किया है। बिहार की राजनीति में अब तक ये लोग अपने सगे संबंधी के माध्यम से प्रभाव डालते रहे हैं, लेकिन इस बार ये सीधा प्रभाव डालेंगे। ऐसे में राजनीतिक दलों के लिए इनको साधना इस बार सबसे अधिक जरुरी होगा। जानकारी के अनुसार बिहार में अक्टूवर-नवंबर महीने में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसको लेकर चुनाव आयोग ने तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि कोरोना संकट की वजह से चुनावी तैयारी पर असर पड़ा है लेकिन आयोग का दावा है कि अभी भी 4 महीने का समय शेष है लिहाजा चुनावी तैयारी पूरी हो जाएगी।सुरक्षित चुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग प्रतिबद्ध है।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एच आर श्रीनिवासा ने बताया कि कोरोना संकट की वजह से चुनावी तैयारी तो प्रभावित हुई है।आगे भी काफी चैलेंजेज हैं लेकिन हम आश्वस्त हैं कि समय रहते सारी तैयारी पूरी हो जाएगी।उन्होंने बताया कि कोरोना संकट में लाखो प्रवासी मजदूर वापस बिहार आए हैं।चुनाव आयोग यह समीक्षा करेगा कि क्या वे यहां के वोटर हैं या नहीं, अगर जिनका नाम वोटर लिस्ट में नाम नहीं होगा तो उनका नाम जोड़ा जाएगा।इसके लिए विशेष अभियान चलेगा।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि हमारी तैयारी लगातार चलते रहती है। हमारी पहले दौर की बातचीत हो चुकी है।कुछ दिन पहले हीं सभई डीएम, के साथ बातचीत की गई है और उन्हें कई निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना के इस संकट में हमारे लिए चैलेंजेज बढ़े हैं। सूबे में करीब 73 हजार पोलिंग बूथ हैं और करीब 7 करोड़ 18 लाख वोटर हैं.यानि कि हर बूथ पर करीब 1 हजार वोटर हैं। ऐसे में वोटिंग के दौरान सोशळ डिस्टेंसिंग कैसे मेंटेन होगा यह हमारे लिए बड़ी चुनौती है।बिहार के निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो इसके लिए क्या बूथों की संख्या बढ़ाने की जरूरत होगी? इस पर आंतरिक तौर पर मंथन चल रहा है। क्यों कि कोविड-19 को लेकर जो गाइडलाइन हैं उसके तहत काम करना होगा। सुरक्षित चुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग ने काम शुरू कर दिया है.