सुशासन बाबू’ के नाम से राजनीति में मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जीवन काफी उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरा है। पैसों की तंगी, राजनीतिक संघर्ष के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और राज्य के सबसे सफल मुख्यमंत्री बने। आज नीतीश कुमार का जन्मदिन है। आइए जानते हैं उनकी जिंदगी और संघर्ष से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
नितीश कुमार का जन्म 1 मई 1950 को पटना के बख्तियारपुर में हुआ। वे अभियांत्रिकी महाविद्यालय, के छात्र रहे हैं जो अब राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, पटना के नाम से जाना जाता हैं। वहाँ से उन्होंने विद्युत अभियांत्रिकी में उपाधि हासिल की थी। वे 1974 एवं 1977 में जयप्रकाश बाबू के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में शामिल रहे थे एवं उस समय के महान समाजसेवी एवं राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे। वे पहली बार बिहार विधानसभा के लिए 1985 में चुने गये थे। 1987 में वे युवा लोकदल के अध्यक्ष बने। 1989 में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया और उसी वर्ष वे नौंवी लोकसभा के सदस्य भी चुने गये थे।
नीतीश कुमार का जन्म 01 मार्च 1951 को बिहार के नालन्दा जिला के हरनौत कल्याण बिगहा गांव में हुआ था। उनके पिताजी का नाम कविराज राम लखन सिंह (वैध जी) है। नीतीश कुमार को उनके पिताजी उन्हें मुन्ना कहकर पुकारते थे।
बिजली विभाग का काम छोड़ कूद पड़े राजनीति में
नीतीश कुमार ने अपनी स्कूली शिक्षा बख्तियारपुर के गणेश हाई स्कूल से पूरा किया था। उसके बाद 1972 में उन्होंने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर बिहार राज इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड में काम भी किया था। हालांकि उनका मन राजनीति में ज्यादा लगता था। इस वजह से उन्होंने बिजली विभाग की नौकर छोड़कर राजनीति शुरू करने का फैसला किया।
जेपी आंदोलन से बनाई पहचान
18 मार्च 1974 को कांग्रेस सरकार के खिलाफ बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर पटना में जेपी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन में नीतीश कुमार ने अहम भूमिका निभाई थी। इस आंदोलन के बाद नीतीश कुमार काफी प्रचलित हो गए थे।
अखबार पढ़ने के भी नहीं थे पैसे
साल 1978 में पिता के निधन के बाद पूरे घर की जिम्मेदारी नीतीश कुमार के कंधों पर आ गई। इससे पहले नीतीश कुमार ने साल 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे।
पत्नी ने दिया था चुनाव लड़ने का पैसा
पहला चुनाव हारने के बावजूद नीतीश कुमार राजनीतिक मैदान से पीछे हटे नहीं। हालांकि उनकी पत्नी मंजू सिन्हा को नीतीश कुमार का राजनीति में सक्रिय रहना बिल्कुल पसंद नहीं था। साल 1985 में उन्हें लोकदल से टिकट दिया गया। उन्हें प्रचार के लिए बहुत ही कम रुपये दिए गए थे। इससे चुनाव प्रचार संभव ही नहीं था। ऐसे समय मे उनकी पत्नी मंजू सिन्हा ने यह कह कर उनका साथ दिया की इस बार अगर जीत नही हुआ तो उन्हें राजनीतिक से दूर रहना पड़ेगा।
नीतीश कुमार की पत्नी पटना के एक स्कूल में पढ़ाती थीं। उन्होंने अपनी जमापूंजी से नीतीश कुमार को कुछ रूपये दिए। इन रूपयों से नीतीश कुमार ने चुनाव लड़ा।
नीतीश कुमार ने जीता पहला चुनाव
नीतीश कुमार हरनौत से बिहार विधानसभा का चुनाव जीते थे। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। साल 1987 में नीतीश कुमार को युवा लोकदल का अध्यक्ष चुन लिया गया। साल 2000 में नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन उनका कार्यकाल मात्र सात दिनों तक ही चला और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
2002 में नीतीश कुमार रेलवे मंत्री बने उस समय उन्होंने तत्काल और ई टिकट जैसी सुविधा मुहैया कराया। 30 अक्टूबर 2003 को उन्होंने नई पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का गठन किया जिसमें कई पार्टियों का विलय किया गया।