बड़ी-बड़ी रैलियां, बड़ी सभाएं और हेलीकॉप्टर (Helicopter) की उड़ान बिहार चुनाव की पहचान रही है. अब वर्ष 2020 का विधानसभा इलेक्शन चुनावी इतिहास में अलग होने वाला है. लॉकडाउन (Lockdown) के कारण माना जा रहा है कि अगले 3-4 महीनों के बाद होने वाला चुनाव सभाओं के बजाए घर बैठे डिजिटल तरीके से लड़ा जाएगा. राजनीतिक दल मान रहे हैं कि लॉकडाउन नहीं भी होगा तो सोशल डिस्टेंसिंग के तहत सभा, रैली और भीड़भाड़ नहीं होगी. ज्यादातर लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का सबसे बड़ा माध्यम सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा. राजनीतिक दलों ने इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है. एनडीए के दोनों दल जेडीयू और बीजेपी अभी से डिजिटल तरीके से संगठन के नेताओं से बात कर रहे हैं.
बीजेपी के बड़े नेता बिहार की आगामी राजनीति के मद्देनजर हर दिन डिजिटल के जरिये मीटिंग कर रहे हैं. बीजेपी आगामी रणनीति क्या अपनाए जिससे ज्यादा सकारात्मक परिणाम आए, इसको लेकर जिला स्तर तक के कार्यकर्ताओं से बात कर सुझाव ले रही है. बीजेपी सभी जिला अध्यक्षों को होमवर्क के साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ने के अभियान का लक्ष्य भी दे रही है.
जेडीयू ने भी डिजिटल के जरिये संभाला कमान
मुख्यमंत्री व जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार भी लगातार वीडियो कांफ्रेंसिंग से कार्यकर्ताओ से बात कर रहे हैं और उनसे जमीनी राजनीति की तहकीकात कर रहे हैं.
हाल में ही सीएम नीतीश कुमार ने संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग से बात की और कोरोना काल में जनता के बीच रहने की हिदायत दी है.
आरजेडी नेता तेजस्वी ने भी शुरू कर दी है बातचीत
आरजेडी के सभी प्रमुख नेता- लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और अपनी बात जनता तक पहुंचाते रहते हैं. अब आरजेडी भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यकर्ताओं से जुड़ने की कवायद में है.
वहीं, कांग्रेस की ओर से इस तरह के कोई संकेत नहीं हैं. दरअसल, उन्हें अपनी केंद्रीय टीम पर अत्यधिक भरोसा है. बहरहाल इतना तय है कि कोरोना के प्रभाव में बिहार का होनेवाला विधानसभा चुनाव निश्चित ही पिछले चुनाव से कई मायनों में अलग होगा. जहां बडे राजनीतिक दलों को संसाधन मुहैया तो हो जा रहे हैं, पर उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की नेतृत्व वाली छोटी पार्टियों की परेशनियां बढ़ी हुई हैं.