बिहार के वैसे परिवार जिन्हें प्रधानमंत्री खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के तहत राशन कार्ड मिले हैं उन्हें अब जिला अस्पतालों में डायलिसिस की भी मुफ्त सेवा मिलेगी। इस वर्ष केंद्र सरकार के सहयोग से प्रधानमंत्री नि:शुल्क राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम प्रारंभ हो रहा है। सभी जिला अस्पतालों में डायलिसिस सेवा प्रारंभ करने के पूर्व यहां आवश्यक आधारभूत संरचना विकसित की जाएगी। मंगलवार को बिहार विधानसभा में पेश वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में इस बात की घोषणा की गई है।
बिहार की आबादी में करीब 1.65 करोड़ परिवार खाद्यान सुरक्षा के दायरे में आते हैं और जिन्हें राशन कार्ड दिए गए हैं। 1.65 करोड़ परिवार में जितने भी सदस्य आएंगे उन्हें जिला अस्पतालों में मुफ्त डायलिसिस की सुविधा मिलेगी। इस योजना पर जो भी खर्च आएगा, उसका 60 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार को वहन करना होगा।
देश में पहली बार बिहार पहला ऐसा राज्य होगा, जहां राज्य के स्वास्थ्य संस्थानों के लिए इसेंसियल एक्यूप्मेंट लिस्ट बनाई जाएगी। ईईएल के तहत स्वास्थ्य संस्थानों को अपने यहां के सभी जीवन रक्षक उपकरणों को सूचीबद्ध करना होगा। यदि कहीं किसी अस्पताल में कोई एक्यूप्मेंट कम होगा तो उसे मानकों के अनुरूप संबंधित उपकरण मुहैया कराए जाएंगे। बजट में इस बात की घोषणा की गई है।
बच्चे को जन्म देने के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों में महिला की मृत्यु हो जाती है। मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए राज्य सरकार के स्तर पर सुरक्षित मातृत्व आश्वासन योजना (सुमन) चलाई जा रही है। अब सरकार ने बजट में घोषणा की है कि सुमन योजना से प्रदेश के 54 स्वास्थ्य संस्थानों को जोड़ा जाएगा। बजट में प्रदेश के 19 अनुमंडल अस्पतालों में मदर न्यू बोर्न कंगारू यूनिट की स्थापना की घोषणा की गई है। अभी राज्य में 43 विशेष नवजात देखभाल इकाई और 42 शिशु स्थिरीकरण इकाई कार्यरत है। साथ ही जिला अस्पताल से वंचित दरभंगा में 45 करोड़ रुपये की लागत पर 100 बेड के सदर अस्पताल का निर्माण कराया जाएगा।
आईए जानते है स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ घोषणाएं: सभी मेडिकल कॉलेजों में पीजी पाठ्यक्रम में 564 सीटों एवं यूजी पाठ्यक्रम 950 सीटें बढ़ाने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया गया है। बेगूसराय के बंद पड़े राजकीय अयोध्या शिवकुमारी आयुर्वेद कॉलेज में 30 सीटों पर नामांकन की अनुमति। राजकीय आयुर्वेद कॉलेज पटना में स्नातक पाठ्यक्रम में सीटों की संख्या 40 से बढ़ाकर 100 की जाएंगी। राज्य की सभी एएनएम को सरकार की ओर से मुफ्त एंड्रायेड टैबलेट उपलब्ध कराया जाएगा। बिल मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से स्वास्थ्य क्षेत्र में चल रहे कार्यक्रमों को पांच वर्ष का अवधि विस्तार। 5540 करोड़ रुपये की लागत पर पीएमसीएच को तीन फेज में 2025 तक विश्वस्तरीय अस्पताल बनाया जाएगा। निजी क्षेत्र में मुजफ्फरपुर, बिहटा और पटना में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए अनिवार्यता प्रमाणपत्र जारी ।