इस तस्वीर को देखिए और हो सके तो अपना सिर पीट लीजिय, लेकिन एक बार जरूर यह सोचिए कि क्या यही है नया भारत। जहां लोगों को जान बचाने के लिए एक माह तक नसीब नहीं हो रहा है। जानकारी के अभाव में और जान बचाने की डर में यह लोग पत्ते का मास्क बनाकर पहन रहे हैं । जानकारों की माने तो जहां साधारण कपड़े से बना मास्क नाकाफी है इसको रोना से बचने के लिए वहां या पत्ते का माफ कितना कारगर होगा।
स्वास्थ्य विभाग नेराज्य की 32 हजार सहिया को घर-घर जाकर कोरोना के संभावित मरीजों की खोज करने को कहा गया है। सहिया वैसे लोगों की जानकारी जुटाएंगी, जिनकी पिछले कुछ दिनों में ट्रैवल हिस्ट्री रही है। सहिया के अलावा सहायिका और आंगनबाड़ी सेविकाओं को भी अपने अपने क्षेत्र में बाहर से आने वाले लोगों पर पैनी नजर रखने का निर्देश दिया गया है। साथ ही बाहर से आए लोगों को स्वास्थ्य केन्द्रों में भेजकर उनका हेल्थ चेकअप कराने का भी निर्देश दिया गया है।
सहिया, सहायिका और आंगनबाड़ी सेविकाओं को कोरोना वायरस को लेकर प्रशिक्षण दिया गया है। सभी जिलों में एेसे प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए हैं। जिलों में हर सहिया को कोरोना को लेकर 50 घरों का सर्वे करने का भी निर्देश दिया गया है, जिसमें एक पर्यवेक्षक के अंदर चार सहियाएं रहेंगी एवं जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराएंगी। सहिया निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों के कोरोना वायरस से बचाव की भी जानकारी देंगी। ग्रामीणों को बार बार हाथ धोने के लिए प्रेरित करने की भी बात कही गई।