डोली, घोड़ी और रथ पर बारात तो आपने बहुत देखीं होंगीं, लेकिन बगहा में दूल्हे की कुछ अलग ही तस्वीर सामने आई है. यहां दूल्हे को गोद में लेकर चलती हुई बारात दिखी है. इस गांव में न सवारी है और न बैंड बाजा. न बारात की घूम रही है और न ही शादी का माहौल नजर आ रहा है. हर बड़ी मुश्किलों के बीच बारात का हिस्सा बना हुआ है. बगहा के रामनगर थाना क्षेत्र के बभनी गांव के बन्धु गोंड के बेटे प्रमोद कुमार की बारात ने विकास की पोल खोल दी है. दसअसल यह हालात उस समय बने जब गांव में अचानक बाढ़ का पानी घुस आया.
गांव में बन्धु के घर शादी की तैयारी चल रही थी, अचानक बारात निकलने से पहले ही गांव में पानी घुस गया. बगहा के रामनगर थाना के बभनी गांव में बाढ़ के पानी के बीच बारात निकालना मुश्किल बन गया तो ग्रामीण आगे आये और दूल्हे को गोद में लेकर गांव से बाहर निकाला गया. इसके बाद ही यहां से बारात निकाली जा सकी. रामनगर के बभनी से मोतिहारी बारात को जाना था, लेकिन बारिश के बीच गांव में पानी घुसने से रास्ता अवरुद्ध हो गया, जिससे गांव तक सवारी नहीं पहुंच सकी. दूल्हे के घर कर आने के लिए तीन फीट तक पानी पार कर बाराती भी अपना कपड़ा खोलकर बारात चले.
विकास के दावों की पोल खोलती प्रमोद की बारात महज एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि विकास के दावों पर कड़ा प्रहार भी है. विकास के इस दौर में गांवों में सडकों और नालियों की क्या हालात है यह रामनगर के बभनी गांव की इस तस्वीर से साफ दिख रहा है. सरकार ने सड़क और नली गली से हर गांव कस्बा को जोडऩे का दावा किया था, लेकिन मॉलसून की पहली बारिश ने ही जमीनी हकीकत की पोल खोल दी है.