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स्पेशल ट्रेन चलाकर सरकार ने कुछ गुजांइश की थी कि जो मजदूर और छात्र बाहर फंसे हुए हैं वो घर आ सके । लेकिन केन्द्र सरकार की नई गाइडलाइन ने 28 लाख प्रवासियों के चेहरे की मुस्कान छीन ली है ।
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में बाहर फंसे लोगों की घर वापसी के बारे में रविवार को नई गाइडलाइन जारी की। इसके अनुसार सिर्फ वही लौटेंगे, जो लॉकडाउन से ठीक पहले गए और फंस गए। बिहार के 28 लाख प्रवासियों में ऐसे लोगों की संख्या नाममात्र ही है। इससे अब बाकी प्रवासियों की घर वापसी मुश्किल होगी।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को 3 मई के पत्र के जरिये यह स्पष्ट किया है कि लॉकडाउन के दौरान देश भर में फंसे प्रवासी मजदूर, तीर्थयात्री, पर्यटक व छात्र समेत केवल उन्हीं लोगों के मूवमेंट की अनुमति होगी, जो लॉकडाउन से ठीक पहले अपने पैतृक स्थान या कार्य स्थान पर गए थे और लॉकडाउन के कारण वापस नहीं लौट पाए और फंसे हुए हैं।
इस पत्र में स्पष्ट किया गया है कि वैसे लोगों को लॉकडाउन में आवाजाही की मंजूरी नहीं है, जो सामान्य तौर पर रोजगार या कामकाज के लिए नेटिव प्लेस से बाहर हैं और घर लौटना चाहते हैं। बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि हम पहले से ही उन्हीं लोगों को वापस ला रहे हैं जिनके पास ठिकाना नहीं है। और, लॉक डाउन की वजह से वहां उनका गुजर-बसर करना एकदम मुश्किल में पड़ गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लॉकडाउन के दौरान फंसे हुए लोगों को वापस लाने के लिए सभी राज्यों के साथ बेहतर समन्वय बनाने का आदेश दिया है। रविवार को राज्य में कोरोनावायरस संक्रमण की स्थिति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वापस लौटने के इच्छुक लोगों को कोई समस्या नहीं हो। उन्होंने कहा कि बाहर से आ रहे लोगों को जिला मुख्यालय और संबंधित प्रखंड के क्वारेंटाइन सेंटर पर भेजने के लिए वाहनों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाए। सभी प्रखंड क्वारेंटाइन सेंटर और पंचायत स्तरीय स्कूल क्वारेंटाइन सेंटरों पर भोजन, रहने और चिकित्सकीय सुविधा की गुणवतापूर्ण व्यवस्था रखें। स्नानागार और शौचालय की साफ-सफाई पर भी पूर्ण ध्यान रखा जाए।
बाहर से आ रहे सभी लोगों की स्क्रीनिंग कराई जाए और जिनमें लक्षण मिले उनकी प्रोटोकाॅल के अनुरूप टेस्टिंग तुरंत करायी जाए। बैठक में मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीविका और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन द्वारा चिह्नित लोगों को प्रति परिवार एक-एक हजार रुपए देकर राशन कार्ड उपलब्ध कराएं। सभी गरीब परिवारों को सहायता राशि के साथ राशनकार्ड भी मिले, ये जरूरी है।
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