ये तस्वीर भर नहीं है। देश को एक रास्ता दिखाया है किशनगंज के लोगों ने। सालों में सरकार पुल नहीं बना पाई। लोगों ने खुद चचरी पुल बनाया। इस इलाके में कॉमन है। बांस का अस्थाई पुल। स्थानीय जदयू विधायक को लोगों ने उद्घाटन के लिए बुला लिया। जाहिर है चकमा देकर बुलाया होगा। जब विधायक जी आए और रिबन काटने के लिए आगे उन्हें कैंची की जगह वो दबिया दे दी जिससे लोगों ने इस पुल का निर्माण किया था। जो लोग दबिया नहीं जानते हैं उनके लिए: ये एक खास औजार है जिससे बांस को काटा और छांटा जाता है।
ख़बर है कि जदयू विधायक नौशाद आलम को इलाक़े के लोगों ने एक पुल के उद्घाटन के लिए बुलाया. विधायक की तैयार भी हो गए. पुल का उद्घाटन करने आ भी गए. जब वो पहुंचे तो देखा कि उन्हें चचरी पुल का उद्घाटन करना है. जब विधायक जी उद्घाटन करने पहुंचे तो रिबन काटने के लिए उन्हें कैंची नहीं दी गई. वो दबिया दी गई जिससे पुल का निर्माण हुआ है.
जिन्हें चचरी पुल नहीं मालूम उनके लिए बता दें. बिहार के इस में बाढ़ आती है. छोटी-छोटी नदियां हैं और कई नदियों पर पक्की पुल नहीं है. ऐसे में स्थानीय लोगों अपनी मेहनत से बांस की पुल बना लेते हैं ताकि आवाजाही होती रह सके.
सरकारें नहीं सुनती तो लोग अपनी यात्रा को बनाए रखने के लिए बांस का सहारा लेते हैं. वो सरकार के लिए इनकी आलोचना भी करते हैं. ऐसा करना जायज़ भी है लेकिन इस बार ज़िला किशनगंज के ठाकुरगंज के लोगों ने अपनी राय बदली उन्होंने विधायक को बुलाकर चचरी पुल का उद्घाटन करवाया. लोगों ने ऐसा करके विधायक को आईना दिखाया है और अगर राज्य की सरकार देखना चाहे तो उसको भी दिखाया है.
इस मौक़े पर स्थानीय लोगों ने अपने विधायक से कुछ बेहद कड़े सवाल किए. ये वो सवाल हैं जो इस देश की बड़ी आबादी को अपने नेताओं से, अपने जनप्रतिनिधियों से पूछना चाहिए. शायद लोगों ने सवाल पूछना कम कर दिया है इसीलिए 15 साल शासन करने के बाद भी सत्ताधारी पार्टी के विधायक को चचरी से बने पुल का उद्घाटन करने जाना पड़ा.