ब्रह्मेश्वर मुखिया को उनके शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ! अमर शहीद के शहादत को उनके अपने ही जाति के लोगों ने भुला दिया! लेकिन मैं नहीं भुलाऊंगा! मैं ने उनको पढा है! उनके वीरता की कहानियाँ पढ़ी हैं! कई भूमिहार मित्रों से उनकी वीर-गाथायें सुनी है! समाज और देश की सेवा करते करते एक दिन ब्रह्मेश्वर मुखिया शहीद हो गये!! नम आंखों से नमन करता हूँ!!
उदण्ड नहीं समृद्ध और सबल बनकर श्रद्धांजलि दें : आज ब्रह्मेश्वर सिंह ‘मुखिया जी’ की पुण्यतिथि है .. आजाद भारत में मौजूदा दौर की सबसे बड़ी समस्या न’क्सलवाद है…. गरीबों-पिछड़ों को न्याय दिलाने के नाम शुरु किया गया एक ऐसा आंदोलन जिसकी आड़ में र’क्तरंजित समाज की नींव डाली गई … समाज के बड़े वर्ग को मुख्यधारा से विमुख कर पूरे राष्ट्र के समक्ष गृहयु’द्ध की स्थिति पैदा करने की सोच है न’क्सलवाद …. जो समाज सदियों से बंधुत्व भाव से रहते आया था उसमें चंद स्वार्थी तत्वों द्वारा फूट डालने की कोशिश है न’क्सलवाद …
स्वाभाविक है इस न’क्सलवाद और जातिवादी राजनीति करने में माहिर कुछ नकाबपोशों ने बिहार में भी र’क्तरंजित समाज की कल्पना की … समाज के आपसी बंधुत्व को ऐसा बि’गाड़ा गया कि एक वर्ग विशेष के समक्ष दो ही रास्ते बचे आत्मरक्षार्थ संघर्ष या फिर मौ’त ….
एक कुशल नेतृत्वकर्ता के रूप में मुखिया जी ने जिस संघर्ष की राह को चुना उसी के परिणामतः आज एक बड़ा भूभाग और समाज अमन चैन से रह रहा है … न’क्सलवाद और जाति की राजनीति करने वालों को करारा जवाब देकर …. संघर्ष करने की जो सीख उन्होंने दी उसी का नतीजा है आत्मसम्मान और समाज-राष्ट्र रक्षार्थ एक सामाजिक क्रांति पैदा हुई ….संघर्ष के प्रतीक, समाजिक एकता के सूत्रधार, आत्मसम्मान के लिए जग से भिड़ने की प्रेरणा देने वाले प्रणेता को …. कोटिशः नमन!!!
बंकिये हिं’सा से समृद्धि नहीं आती है, उसके लिए आपका सफल होना जरूरी है। आप व्यक्तिगत रूप से ही नहीं सामाजिक रूप से सफल हों तभी आपके समुदाय की पूछ है। मुखिया जी को असली श्रद्धांजलि फूल माला चढाने या सिर्फ जिंदाबाद के नारे लगाने से नहीं दी जा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि हमारा समाज सम्पन्न बने। हम हमेशा कुछ ऐसा करें या करने की सोचे जिससे सामाजिक उन्नति सुनिश्चित हो सके। न धन से , न बुद्धि से और न बल पौरुष से – किसी रूप में आप अक्षम नहीं हैं तो इस देव प्रदत गुण का लाभ अपने समुदाय/समाज को दें। खुद को उदण्ड रूप में पेश न करें बल्कि एक ऐसे नेतृत्वकर्ता बनें जो सबको साथ में लेकर चलने का जज्बा रखता हो। हर वर्ग, विशेषकर जो दुर्बल है – उसको अपने साथ जोड़ें और शैक्षिक, आर्थिक रूप से सबल बनें। आर्थिक सबल ही संघर्ष कर सकता है। अपनी अगली युवा पीढ़ी को पेशेवर बनायें , उसे उद्यमशील बनायें।
कुछ ऐसा कीजिये जिससे आपके समुदाय की सामजिक समृद्धि आये। इसी से सबलता आएगी – जैसा समृद्ध और सबल समाज का सपना मुखिया जी ने देखा था।
प्रियदर्शन शर्मा