हाईकोर्ट ने पिछले दिनों एक सवाल पूछा था । सवाल था कि कितने सरकारी अफसरों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं । मकसद साफ था सरकारी अफसरों के बच्चें अगर स्कूल में जाएंगे तो बदहाल हो चुके स्कूलों की कुछ काया पलटेगी । हाईकोर्ट ने पत्र लिखकर सरकार से इसका जवाब पूछा था । इस सवाल के बाद अफसरों ने मेहनत के बाद जो रिपोर्ट निकाली वो चौकाने वाले थे । यह एक जिले की रिपोर्ट है इस रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ दो सरकारी अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढते हैं।
सिवान जिले में हुआ खुलासा
राज्य सरकार से पत्र मिलने के बाद सिवान जिला प्रशासन ने पहले अलग-अलग विभागों में तैनात सरकारी अधिकारियों की सूची तैयार की औऱ फिर ये पता लगाया कि उनके बच्चे कहां पढ रहे हैं। सिवान जिले में विभिन्न विभागों में 223 अफसर पोस्टेड हैं। इनमें से सिर्फ दो अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढते हैं। बाकी 221 अपने बच्चों को निजी स्कूल या कॉलेज में पढ़ा रहे हैं।
सिवान जिला प्रशासन से जुड़े सूत्र के मुताबिक राज्य सरकार को जिला प्रशासन ने जो रिपोर्ट भेजी है उसमें खुलासा हुआ है। जिला प्रशासन द्वारा भेजी गयी रिपेार्ट के मुताबिक सिवान में पदस्थापित एक पशु चिकित्सक ने जानकारी दी है कि उनकी बेटी सरकारी स्कूल में पढती है। उनकी बेटी बगल के गोपालगंज जिले में रहती है औऱ वहीं एक सरकारी स्कूल में पढ़ती है। जिला प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक बड़हरिया प्रखंड के जामो में पोस्टेड पशु चिकित्सक जयशंकर प्रसाद की बेटी प्रेयसी गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर प्रखंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बुटन टोला में वर्ग तीन में पढ़ती है।
जिला प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक एक अन्य अधिकारी ने भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढाने की जानकारी दी है। सिवान आईटीआई के प्रिंसिपल राजकुमार ठाकुर ने जानकारी दी है कि उनका एक बेटा सरकारी स्कूल में पढता है।
सरकारी व्यवस्था की पोल खुली
सिवान जिले की रिपोर्ट ने सूबे में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था की पोल खोल दी है। नीतीश सरकार ये दावा करती रही है कि पिछले 15-16 सालों में बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार हुआ है। लेकिन हकीकत सामने आ रही है। राज्य सरकार के अधिकारी ही अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढाने को तैयार नहीं हैं। अगर सरकारी अधिकारियों के बच्चे ही सरकारी स्कूल में नहीं पढेंगे तो वे सरकारी शिक्षा व्यवस्था को क्या जानेंगे।