भारतीय रेलवे यांत्रिक एवं अभियंत्रण संस्थान (इरिमी) को जमालपुर से लखनऊ में शिफ्ट किए जाने की कवायद की सूचना के बाद बिहार में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। बिहार सरकार ने इस मुद्दे पर सख्त तेवर अख्तियार करते हुए कहा है कि इसे बिहार से कतई नहीं जाने देंगे, वहीं विपक्ष ने भी आंदोलन की चेतावनी दी है। गोरखपुर के महाप्रबंधक (यांत्रिक) द्वारा 27 अप्रैल को इरिमी, जमालपुर के निदेशक को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि निर्माण कार्य के लिए मोहीबुल्लापुर रेलवे स्टेशन (लखनऊ जंक्शन-सीतापुर खंड) के पास जगह उपलब्ध है। इसे इरिमी को स्थानांतरित किए जाने के लिए अनुमोदन दे दिया गया है। इस पत्र के बाद से ही हंगामा खड़ा हो गया है। उधर, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी बचाव में आ गए हैं और कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है।
जमालपुर के रेलवे प्रशिक्षण संस्थान को लखनऊ हस्तांतरित करने का नोटिस। भारतीय रेलवे ने बिहार के सबसे पुराने प्रशिक्षण संस्थान को बंद करने का निर्णय लिया है । रेलवे ने इस संबंध में पत्र लिख दिनांक 27-04-20 को अधीन विभाग देकर संस्था को बंद कर लखनऊ हस्तांतरित करने का आदेश दे दिया है।एशिया का सबसे बड़ा व प्रसिद्ध रेल इंजन कारखाना जमालपुर की स्थापना 8 फरवरी 1862 को हुई थी। बताते चले कि इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग(IRIMEE, इरिमी) नाम से यह प्रशिक्षण संस्थान 1888 में खोला गया, इसमें 1927 से रेलवे के मैकेनिकल इंजीनियरिंग को प्रशिक्षण दिया जाता रहा है । रेलवे के छह मुख्य संस्था में यह सबसे पुराना है।
वरिष्ठ पत्रकार पुष्यमित्र कहते हैं कि यह लगभग तय है कि देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक इरिमी को जमालपुर से लखनऊ भेजने की तैयारी है। इसे बंद करने की कोशिशें लम्बे समय से चल रही थी, जबकि इसका अपना एक गौरवशाली इतिहास है। 2016 में ऐसी ही एक कोशिश हुई थी तब मैं जमालपुर गया था और यह रिपोर्ट लिखी थी। इसमें इस संस्थान के गौरवशाली इतिहास का भी जिक्र करने की कोशिश की है।जब हम 12वीं में थे तो हमारे जमाने में स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस के कोर्स को सबसे महत्वपूर्ण बताया जाता था, यह कोर्स इसी संस्थान में संचालित होता था।