लगभग 146 साल बाद रेलवे के ऐतिहासिक सफर में एक और उपलब्धि जुड़ गई है. सोमवार यानी 1 जून से मिथिलांचल में इलेक्ट्रिक ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया गया है. इसी क्रम में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन दरभंगा से नई दिल्ली के लिए निकली. ट्रेन के गार्ड ने दरभंगा-नई दिल्ली बिहार संपर्क क्रांति स्पेशल ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
इलेक्ट्रिक ट्रेन की सौगात पाकर मिथिलांचल के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं है. ट्रेन के लोको पायलट उमा शंकर पोद्दार ने कहा कि दरभंगा से इलेक्ट्रिक ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ है. समस्तीपुर-जयनगर रुट का इलेक्ट्रिफिकेशन होने के बाद इस रूट से पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन नई दिल्ली के लिए बिहार संपर्क क्रांति स्पेशल ट्रेन को ले जाते हुए उन्हें बेहद खुशी हो रही है. उन्होंने ये भी कहा कि इलेक्ट्रिक इंजन लगने से ट्रेन की स्पीड बढ़ेगी और गंतव्य तक पहुंचने में कम समय लगेगा.
दरभंगा से खुली पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन के यात्रा करने वाले मो. नौशाद आलम ने कहा कि वे रेल मंत्री पीयूष गोयल को इसके लिए धन्यवाद देते हैं. उन्होंने मिथिलांचल के लोगों की वर्षों पुरानी मांग पूरी की है. उन्हें पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन का पहला यात्री बनकर बेहद खुशी हो रही है. मो. नौशाद ने कहा कि ये दिन उनके लिए हमेशा यादगार रहेगा.
बता दें कि, 17 अप्रैल 1874 को दरभंगा में पहली ट्रेन आई थी. मिथिलांचल और उत्तर बिहार में रेल लाइन बिछवाने का श्रेय दरभंगा राज को जाता है. बता दें कि 1874 में ट्रेनों का चलन शुरू होने के बाद मिथिलांचल के रेल इतिहास में दूसरा महत्वपूर्ण पड़ाव तब आया था जब 2 फरवरी 1996 को दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड को मीटर गेज से ब्रॉड गेज में बदल कर ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ था. इसका उद्घाटन तत्कालीन रेल राज्यमंत्री सुरेश कलमाडी ने किया था.
फिलहाल, इस रेलखंड के दोहरीकरण का काम तेजी से चल रहा है जो अगले कुछ महीनों में पूरा हो जाएगा. बिहार और मिथिलांचल में रेलवे के विकास के लिए भारत के पूर्व रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र ने बड़ा सपना देखा था. लेकिन उनके असमय निधन से ये सपना अधूरा रह गया था. अब जब मिथिलांचल के रेल इतिहास में नई उपलब्धियां जुड़ रही हैं तो लोग उन्हें कृतज्ञता भाव से याद कर रहे हैं.