बेटे के जन्म पर खुशियां और बेटियों के जन्म पर मा’तम मनाने वाले इस दोहरे सोच वाले समाज की सच्चाई को कोरोना महामारी ने सामने ला दिया है। बेटे और बेटियों में फर्क करनेवाले इस समाज की सोच अब भी ना बदली तो शायद कभी ना बदलेगी….बेटियों को कम मत आंको, उन्हें भी प्यार दो, उनका हक दो, उन्हें जीने दो।छपरा जिले के फतेहपुर सरेया गांव निवासी राजबलम कुशवाहा लॉकडाउन की वजह से सूरत में फंसे हुए हैं हैं। रविवार की रात उनकी 45 वर्षीय पत्नी राजमुनि देवी का निधन हो गया।
राजमुनि की तीन बेटियां पूनम, काजल और नेहा हैं। सिर से मां का साया छिन जाने से बेटियां बदहवास हो गईं और मां का श’व सामने देख, घऱ में पैसे नहीं होने से उनका रो-रो’कर बुरा हाल था। मां की अं’त्येष्टि तक के लिए पैसे नहीं थे।बेटियां ने सोहनी (खेतों में घास काटना) से मिलने वाले कुछ पैसे गुल्लक में जमा कर रखे थे। गुल्लक तोड़कर गिनती की तो पता चला कि गुल्लक में 2000 रुपये हैं। को सबने कंधा दिया तो एक बेटी ने मुखाग्नि देकर समाज की परंपराओं से इतर एक नया अध्याय लिखा।
बिहार के सारण जिले के मांझी में उस वक्त एक अजीबोगरीब स्थिति हुई, जब मां की मौ’त पर गुल्लक तोड़ बेटियों ने कफन खरीदे। लॉकडाउन में पिता के बाहर रहने की स्थिति में चार बेटियों ने मां की अ’र्थी को कंधा दिया तो एक ने मु’खाग्नि देकर समाज की परंपराओं से इतर एक नया अध्याय लिखा।
मांझी प्रखंड के फतेहपुर सरैया में यह घटना रविवार की रात की है। पति राजबलम सिंह कुशवाहा गुजरात के सूरत में मजदूरी करते हैं। लॉकडाउन में वहीं फंस गए। चार दिन पहले उनकी पत्नी राजमुनी देवी (45 वर्ष) की कमर व पैर में अचानक तेज द’र्द होने लगा। घर में मौजूद बेटियों ने डॉक्टर से दिखाया। दो दिनों बाद रविवार की रात अचानक उसकी मौ’त हो गई।
ग्रामीणों ने मृ’तका की शादीशुदा बड़ी पुत्री पिंकी व बलेसरा में अपनी मौसी के घर रह रही पूजा को भी इसकी सूचना दी। सुबह महिला की शव यात्रा निकली। अन्य ग्रामीणों के साथ पुत्री पूनम, काजल व नेहा समेत चारों बहनों ने अर्थी को कंधा दिया। अ’ग्नि संस्कार को लेकर लोग अलग-अलग राय देने लगे तभी मृतक की पांचवीं पुत्री ने साहस का परिचय देते हुए स्वयं मुखाग्नि देने का निर्णय किया।
मांझी प्रखंड जीविका समूह से जुड़ी मृतका राजमुनी की पुत्रियों की मदद में अनुभव जिंदगी का सोशल मीडिया ग्रुप भी खड़ा हुआ। ग्रुप के कुछ सदस्यों राजीव कुमार सिंह व राजू कुमार गुप्ता की पहल पर जुटी जीविका दीदियों ने तत्काल 83 सौ रुपये व खाद्य सामग्री के अलावा स्थानीय मुखिया संजीत कुमार साह व पूर्व जिप सदस्य धर्मेन्द्र सिंह ने पांच पांच हजार रुपये नकद व खाद्य सामग्री उपलब्ध करायी। एक पुत्री को सीएसपी में नौकरी दिलाने का भी आश्वासन दिया गया।
मौके इधर प्रखंड परियोजना पदाधिकारी संजय कुमार ने सोशल मीडिया ग्रुप के अनुरोध पर मृतका का 25 हजार का बैंक ऋण माफ कराने के साथ साथ उसकी पुत्रियों को स्कील डेवलपमेंट के तहत मुफ्त ट्रेनिंग कराने व रोजगार उपलब्ध कराने में हर सम्भव सहयोग का आश्वासन दिया।