भारत की आजादी के बाद आज तक बक्सर के एक गांव को सड़क नसीब नहीं हो सकी है. लगभग 700 की आबादी वाले बक्सर जिले के चौंगाई प्रखंड स्थित नाचाप पंचायत के पुरैना गांव के लोगों को आज भी कई परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है. आज भी इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
बीते तीन जून को एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसके कारण यह गांव और ज्यादा सुर्खियों में आ गया. इस वीडियो की पड़ताल के लिए एबीपी की टीम चार जून को पुरैना गांव पहुंची. वायरल वीडियो में यह दिख रहा है कि कैसे बारिश होने के बाद इस गांव की सड़के कीचड़ से बर्बाद हो गई हैं. मजबूरी में दूल्हे राजा को कंधे पर ही बैठकर जाना पड़ रहा है.
पुरैना गांव के लोगों के लिए पक्की सड़क आज भी एक सपना है. इस सपने को पूरा करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कई सपने दिखाए, लेकिन वह भी केवल वोट लेने के लिए. आज तक इस मसले पर न तो किसी ने गंभीरता दिखाई और ना ही किसी ने इस दिशा में कोई पहल की.
लंबे अरसे से सड़क के अभाव में पढ़ाई से वंचित गांव की एक बेटी खुशी ने तो ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. कहा कि इस नारे और अभियान का मतलब क्या? जब हमें पूरे बरसात स्कूल ही नहीं जाते. गांव की महिला रिंकु देवी ने बताया कि पक्की सड़क के अभाव में हमें इस गांव में कई तरह की परेशानी होती है. अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो गांव से बाहर जाने के लिए सड़क नहीं है. मरने के बाद कफन लेकर कोई मायके वाला भी नहीं पहुंच सकता.
वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए जब एबीपी की टीम पुरैना गांव चार जून को पहुंची तो दूल्हे राजा की बारात वापस आई थी. उनसे बातचीत की गई. दूल्हे राजा ने अपने गांव की दुर्दशा के बारे में बताया. कहा कि आजादी के बाद से यहां सड़क नहीं है. गांव के लड़के-लड़कियों से शादी करना भी लोग पसंद नहीं करते.