जातिगत जनगणना को लेकर बिहार की सियासत लगातार गर्म होती जा रही है। तेजस्वी प्रसाद यादव ने आज नीतीश कुमार से तीखे सवाल पूछे। तेजस्वी ने पूछा कि नीतीश कुमार बतायें कि वे नरेंद्र मोदी या बीजेपी के सहयोगी हैं या गुलाम हैं। अपनी कुर्सी बचाने के लिए नीतीश कुमार कितना नीचे गिरेंगे। तेजस्वी ने नीतीश कुमार को रीढविहीन, बिना नीति और सिद्धांत वाला व्यक्ति करार दिया।
फोटो लेकर मीडिया से बात करने आये तेजस्वी
तेजस्वी प्रसाद यादव आज दो बड़े साइज की तस्वीर लेकर मीडिया से बात करने आये। दोनों ही तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। एक तस्वीर में वे बिहार विधान परिषद के सभापति अवेधश नारायण सिंह से मिल रहे थे। दूसरी तस्वीर में प्रधानमंत्री बिहार सरकार में मंत्री और जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन से मिल रहे थे।
तेजस्वी ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा है लेकिन प्रधानमंत्री ने अब तक समय नहीं दिया है। नीतीश कुमार कह रहे हैं कि उन्होंने 3 अगस्त को ही प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा था। लेकिन उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह और मंत्री संतोष कुमार सुमन से अलग अलग मुलाकात की।
नीतीश सहयोगी हैं या गुलाम
तेजस्वी यादव ने कहा कि क्या मामला है वे बताना नहीं चाहते। लेकिन नीतीश कुमार को बताना चाहिये कि वे प्रधानमंत्री की पार्टी के सहयोगी हैं या गुलाम हैं। इतना बड़ा मसला है और नीतीश कुमार सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री से मिलना चाहते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री समय नहीं दे रहे हैं। इससे साफ है कि नीतीश कुमार को अपमानित किया जा रहा है। लेकिन नीतीश कुमार को कुर्सी प्यारी है। कुर्सी बचाने के लिए नीतीश कुमार कुछ भी कर सकते हैं। कुर्सी न जाये इसके लिए नीतीश कुमार सब कुछ सहने को तैयार हैं।
कहां है अंतरआत्मा
तेजस्वी यादव ने कहा कि नीतीश कुमार की अंतर्आत्मा कहां है जिसका जिक्र वे पहले किया करते थे। आखिर वह अब क्यों मर गयी है। वैसे प्रधानमंत्री उनसे क्यों नहीं मिलना चाहते। क्या प्रधानमंत्री प्लेट खींचने की सजा दे रहे हैं। 2012 में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के सामने से प्लेट खींच लिया था। बिहार में बाढ आय़ी है लेकिन केंद्र सरकार ने कोई मदद नहीं की। केंद्र ने बाढ़ में मदद की बात तो दूर क्षति का आकलन करने के लिए कोई सेंट्रल टीम तक नहीं भेजी। कहा जाता है कि ये डबल इंजन की सरकार है, कहां है डबल इंजन।