सीबीआइ दो के विशेष जज गीता गुप्ता की अदालत ने बुधवार को फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर शिक्षक की नौकरी लेने के मामले में दोषी पिता-पुत्री समेत चार लोगों को सजा सुनायी है। बुधवार को कोर्ट ने दोषियों को चार साल की सश्रम कारावास की सजा सुनायी व अर्थदंड भी लगाया।
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सजा पाने वालों में लाभार्थी शिक्षिका रेखा कुमारी उर्फ मंजू देवी व पिता शिक्षक मंदेश्वर भगत निवासी बंगामा थाना बरहट जिला बांका, अरविंद रविदास उर्फ अरविंद दास निवासी थाना बरहट जिला बांका के साथ नरेश साह निवासी बांका शामिल है। कोर्ट ने भादवि व पीसी एक्ट में दोषी पाते हुए कारावास व जुर्माना की सजा सुनायी है।
यह मामला निगरानी डीजी की सूचना पर 17 जून 1997 को निगरानी थाने में मामला दर्ज किया गया था। बाढ़ में उक्त मामला उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआइ को सौंपा गया। सीबीआइ ने अपने अनुसंधान में पाया कि अभियुक्त रेखा कुमारी उर्फ मंजू देवी जो सामान्य वर्ग की थी हरिजन जाति का फर्जी प्रमाणपत्र व मंजू झूनिहरा के नाम का अन्य फर्जी प्रमाणपत्र तैयार कर 28 जुलाई 1997 को मैट्रिक ट्रेंड टीचर के रूप में नियुक्ति पत्र प्राप्त कर 19 अगस्त 1987 को प्राइमरी स्कूल कांकोबारा, बांका में नौकरी प्राप्त कर लिया तथा वर्ष 1987 से 1992 के बीच वेतन उठाया।
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अभियुक्त के प्रमाण पत्र बनाने में उसके पिता अभियुक्त जो बस्ता प्राइमरी स्कूल, बांका में सहायक टीचर थे अन्य अभियुक्तों के सहयोग से फर्जी प्रमाणपत्र तैयार करवाया। इस मामले में सीबीआइ ने कुल 24 गवाहों से गवाही विशेष कोर्ट में करवायी। विशेष जज ने अभियुक्त रेखा कुमारी व उर्फ मंजू देवी को भादवि व पीसी एक्ट में चार साल का सश्रम कारावास व 18 हजार अर्थदंड, मंदेश्वर भगत को चार साल व 15 हजार अर्थदंड, अरविंद रविदास को चार साल व 16 हजार एवं नरेश साह को चार साल व 11 हजार अर्थदंड की सजा दिया।