पटना सिटी इलाके में तेजी से स्वाइन फ्लू अपना पांव पसार रहा है। पिछले दस दिनों में ही पटना जिले में स्वाइन फ्लू के छह मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से पांच संक्रमित पटना सिटी इलाके के रहने वाले हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की इस पर नजर नहीं गयी है। इस इलाके सूअरों की संख्या ज्यादा होने को भी इससे जोड़ कर देखा जा रहा है। साफ-सफाई की कमी भी इसके फैलने का एक बड़ा कारण है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक छह संक्रमित लोगों में से एक की हालत गंभीर बनी हुई है। पटना के एक निजी अस्पताल के आइसीयू में उसका इलाज चल रहा है। वहीं शेष पांच लोगों को उनके घर पर ही परिवार से अलग कर के रखा गया है। डॉक्टर बताते हैं कि कोरोना के शोर में स्वाइन फ्लू के खतरे पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसको लेकर भी लोगो को जागरूक करने की जरूरत है। पटना के सिविल सर्जन डॉ राजकिशोर चौधरी कहते हैं कि यह सच है कि पटना सिटी इलाके से ही ज्यादातर स्वाइन फ्लू के मामले सामने आये हैं। हम इसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं और मरीजों पर नजर रखे हुए हैं। वह कहते हैं स्वाइन फ्लू को भी हम हल्के में नहीं ले रहे हैं।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैली नोवेल कोरोना महामारी को लेकर बिहार में थोड़ी राहत की बात है। अलर्ट के बाद सूबे में अब तक 57 संदिग्धों की वायरोलॉजी जांच करायी गयी, जिनमें एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिला है। पटना एम्स की मेडिकल स्टूडेंट्स भी कोरोना की संदिग्ध मरीज की सूची में है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 25 जनवरी से लेकर अब तक कोरोना से पीड़ित देशों से लौटे कुल 274 यात्रियों को सर्विलांस पर रखा गया। हालांकि, इनमें से 86 यात्रियों के 14 दिनी निगरानी टेस्ट में पास कर जाने पर उनको जांच के दायरे से बाहर कर दिया गया है।
आइसोलेशन वार्ड में रख हो रही निगरानी
पटना एम्स की मेडिकल स्टूडेंट्स को कोरोना से संक्रमित होने के संदेह में एम्स में ही भर्ती कराया गया है। स्पेशल आइसोलेशन वार्ड में रखकर उसकी निगरानी की जा रही है। एम्स की नर्सिंग फर्स्ट इयर की यह स्टूडेंट पंजाब की रहने वाली है। इसके ब्लड के सैंपल को जांच के लिए पटना के आरएमआरआइ सेंटर में भेजा गया है। एम्स पटना के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ सीएम सिंह ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने पर ही स्पष्ट नहीं हो पायेगा कि उसे कोरोना है या नहीं। सोमवार को आरएमआरआइ से इनकी रिपोर्ट मिलने की संभावना है।