बिहार के बेगूसराय जिले में अंतरजातीय प्रेम प्रंसग से जुड़े मामले में दो युवकों की संदेहास्पद मौत ने प्रशसान और सरकार पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल 24 मार्च को बेगूसराय के बीरपुर थाने से यह खबर सामने आई थी कि विक्रम पौद्दार नाम के एक युवक ने गले में गमछा डालकर थाने में फांसी लगा ली, जिससे उसकी मौत हो गई। दरअसल विक्रम पौद्दार अपने साथ पढ़ने वाली ब्राह्मण जाति की एक लड़की के साथ प्रेम प्रसंग में था। घटना से दो महीने पहले विक्रम अपनी प्रेमिका को लेकर दिल्ली भाग गया था। दिल्ली में विक्रम के भाई भाभी और पिता रहते थे जो कि दिहाड़ी मजदूरी का काम करते थे। विक्रम की मां का देहांत हो चुका है।विक्रम तीन भाईयों में सबसे छोटा था। विक्रम का बड़ा भाई शराबी है वहीँ विक्रम से बड़ा मंझला भाई विकलांग है। जैसे तैसे सभी दिल्ली में मजदूरी कर घर चला रहे थे।
गांव से अपनी प्रेमिका को भागकर दिल्ली पहुँचने के बाद विक्रम ने दो महीने तक बिना किसी को बताये दिल्ली के किसी इलाके में भाड़े पर मकान लेकर रहने लगा। इस दौरान लड़की के परिजन और गांव के कुछ लोग लड़की की तलाश में दिल्ली स्थित विक्रम के भाई के घर पहुंचे लेकिन वहां विक्रम नहीं मिला। पूछने पर पता चला कि विक्रम के बारे में विक्रम के परिजनों को भी पता नहीं है। दो महीने बाद पुलिस की मदद से विक्रम और उसकी प्रेमिका की खबर उसके परिजनों को हाथ लगी, जिसके बाद पुलिस के सहयोग से 23 मार्च को विक्रम पोद्दार को बेगूसराय लाया गया। विक्रम को दिल्ली से बेगूसराय लाने से पहले उसके परिवार वालों से भी कुछ देर के लिए मिलवाया गया। विक्रम और लड़की को पुलिस साथ ले आई लेकिन जब विक्रम के परिजन भी साथ बेगूसराय चलने की बात कही तो विक्रम के परिजनों को यह कहकर टाल दिया गया कि गाड़ी में जगह नहीं है।
पुलिस बेगूसराय के वीरगंज थाने में विक्रम को लेकर पहुँचती है। कोर्ट में लड़की का 164 का बयान होता है जिसमें वह प्रेम प्रसंग के बात से इंकार कर जाती है। लेकिन विक्रम का बयान उस दिन नहीं करवाया जाता है। पुलिस कस्टडी के नाम पर उसे थाने के कमरे में रखा जाता है। इस बीच लड़की के कोर्ट में बयान हो जान के बावजूद लड़की के परिजन सैकड़ों लोगों के साथ थाने पर चढ़ाई करते हैं। थाने में पंचायत होती है। उसी दिन 24 मार्च की शाम यह खबर सामने आती है कि विक्रम ने गले में गमछा डालकर आत्महत्या कर ली है। फंदे में झूलते विक्रम की तस्वीर संदेहास्पद प्रतीत होती है। क्योंकि उसके पैर और जमीन की दूरी काफी कम दिखती है। विक्रम के परिजन दिल्ली में होते हैं वहीँ थाने में विक्रम का शव लावारिस पड़ा हुआ रहता है। लोग प्रशासन से मांग करते है कि विक्रम के परिजनों को दिल्ली से लाने की व्यवस्था की जाय लेकिन ऐसा नहीं होता है। हत्या के 3 दिन बीत जाने के बाद भी शव सदर अस्पताल में पड़ा रहा। वीरगंज थाने में विक्रम पोद्दार के आत्महत्या की खबर तूल पकड़ने के बाद बेगूसराय एसपी अवकाश कुमार थाना प्रभारी अमर कुमार झा को निलंबित कर देते हैं। ऐसे में मामला यहीं निपटता हुआ नजर आता है।
इस बीच देश में लॉकडाउन लागू हो जाता है। पुलिस लॉकडाउन की तैयारी में जुट जाती है। लेकिन सोशल मीडिया पर विक्रम की आत्महत्या की जांच की मांग जोर पकड़ने लगती है। ठाकुर संतोष शर्मा नाम के सामाजिक कार्यकर्ता को विक्रम की आत्महत्या की बात स्वीकार नहीं होती है, संतोष सोशल मीडिया के माध्यम से ही प्रशासन से सवाल करना शुरू कर देते हैं। 25 मार्च को तल्ख़ लहजे में संतोष अपने फेसबुक वाल पर लिखता है कि जाग जाओ पिछड़ो कुम्भकर्ण के नींद से और उतार फेंको इस मनुवादी चोले को, नही तो बेटे के शव को उठाते उठाते थक जाओगे। संतोष अगले दिन 26 मार्च को लिखता है कि बेगूसराय में पिछड़ा समाज इतना कमजोर है कि उसके बेटे की हत्या थाना में हो जाता है और लाश सदर अस्पताल में सड़ता है कियोंकि मरने वाले का माँ-बाप दिल्ली में फंसा हुआ है। इसी दिन संतोष युवा बिग्रेड का संयोजक सह संरक्षक के नाते बेगूसराय सदर SDO से मुलाकात कर अपनी बातों को रखता है। साथ ही मामल एकी जांच को लेकर कई बिन्दुओं को बेगूसराय सदर SDO के सामने प्रस्तुत करता है जिसमें संतोष के सवाल के रूप में यह भी होता है कि कोर्ट में लड़की के बयान के बाद थाने में मजमा लगाकार किस बात की पंचायत हुई थी ? विक्रम आम तौर पर गमछा इस्तेमाल नहीं करता है, अगर वह थाने में हुए पंचायत के बाद आत्महत्या किया है तो पंचायत के समय का सारा सीसीटीवी फुटेज बाहर निकाली जाय।
संतोष के और भी कई सवाल थे जिस पर संतोष ने बेगूसराय सदर SDO को संज्ञान लेने के लिया आवेदन सौंपा। इसकी तस्वीर भी संतोष ने अपने फेसबुक पर अपलोड की। दो दिन के इंतज़ार के बाद संतोष एक बार फिर से फेसबुक पर अपना आक्रोश जाहिर करता है। संतोष 28 मार्च को लिखता है कि विक्रम पोद्दार हत्याकांड में जल्द किया जाए पंचायती करने वाले और थाना प्रभारी पर हत्या का मुकदमा दर्ज नही तो करूँगा नींद हराम, शासन प्रशासन का। पिछड़ा समाज इतना कमजोर नहीं। आगे भी संतोष के तेवर नरम नहीं थे वह लगातार इस मामले को लेकर प्रशासन के खिलाफ पोस्ट का रहा था। जिसमें उसनें एक पोस्ट में यह भी लिखा था कि लॉकडाउन टूटेगा। पुलिस 6 अप्रैल को शाम 6 बजे नावकोठी थाना संतोष को इस आधार पर उठा ले जाती है कि उसनें लॉकडाउन का उल्लंघन किया है। फिर तीन घंटे बाद 9 बजे उसे छोड़ देती है। संतोष लौटने के बाद बताता है कि पुलिस उसे थाने के बजाय जंगल में ले गई थी। जहां उसे खूब पीटा गया। जिससे उसकी तबियत बिगड़ गई। दो दिन बाद 8 अप्रैल को संतोष को बेगूसराय सदर अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है। फिर प्राइवेट डॉक्टर से भी दिखाया जता है लेकिन इसके बावजूद भी संतोष की तबियत ठीक नही होती है। इलाजरत संतोष की तबियत दिनों दिन बिगड़ती जा रही थी इस बीच संतोष अपने एक दोस्त से सारे मामले के बारे में फोन पर बात करता है, जिसका ऑडियो भी सामने आया है। आगे बिगड़ती हुई तबियत में सुधार नहीं होने पर संतोष को 17 अप्रैल को इसे IGIMS पटना रेफर किया जाता है जहां रात 2 बजे उसकी मौत हो जाती है। एक के बाद एक मौत होने से लोगों में आक्रोश उबाल पर है। दोनों मौतें एक मामले से जुड़ी हुई प्रतीत हो रही है।
वहीं लड़की ब्राह्मण और लड़का पोद्दार जाति के होने से मामले ने जातिगत रंग पकड़ लिया है। बिहार के तमाम बड़े विपक्षी दल भी इस मामले में कूद चुके हैं। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने रविवार को सरकार को जल्द से जल्द मामले की जांच कर कार्रवाई की सलाह दी। तेजस्वी ने यह भी लिखा कि अगर कार्रवाई नहीं होती है तो लॉकडाउन के बाद बिहार में बड़ा आंदोलन होगा। तेजस्वी ने अपने पोस्ट में प्रत्यक्ष बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह की संलिप्तता के तरफ भी इशारा किया। वहीं संतोष की मौत के बाद जाप सुप्रीमों पप्पू यादव ने भी सरकार के खिलाफ लड़ाई के लिए कमर कस ली है। रविवार की देर शाम से रात तक सोशल मीडिया ट्विटर पर #विक्रमसंतोषकोन्यायदो हैशटैग ट्रेंड करता रहा। जिसमें बहुजन समाज के कई बड़े-बड़े एक्टिविस्ट ने इस मामले को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किये हैं। साथ ही वीरगंज के तत्कालीन थाना प्रभारी अमर कुमार झा के ब्राह्मण जाति होने के कारण मामले में संदिग्ध भूमिका होने की आशंकाओं के साथ प्रशसान और सरकार पर सवाल उठाये जा रहे हैं। जिसमें बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, जाप सुप्रीमों पप्पू यादव, आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चन्द्रशेखर, पत्रकार प्रशांत कन्नोजिया, एक्टिविस्ट वेद सहित कई लोग शामिल हैं।
इनपुट : एबीपीबिहार