कटिहार में 765 केवी उच्च क्षमता का सुपरग्रिड बनेगा। केंद्र ने हरी झंडी देते हुए इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित किया है। इस ग्रिड से बांग्लादेश तक ट्रांसमिशन लाइन भी बनेगी जिससे उसे 800 मेगावाट बिजली दी जाएगी। निर्माण के बाद उत्तर बिहार की ट्रांसमिशन क्षमता बेहतर तो होगी ही, पूर्वोत्तर से बिहार की कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बुधवार को बताया कि इस प्रोजेक्ट पर 4300 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पूरी राशि केंद्र वहन करेगा। निर्माण दिसंबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है। 1500-1600 मेगावाट बिजली मिलेगी। यह बिहार का तीसरा सुपरग्रिड होगा। दो गया और रोहतास में हंै। इनकी क्षमता भी 765 केवी ही है। यही नहीं, यह देश में उच्च क्षमता का भी दूसरा सुपरग्रिड होगा।
एमपी के बीना में 1200 केवी क्षमता का सुपरग्रिड पहले से है। इस क्षमता का यह देश का एकमात्र सुपरग्रिड है। 415 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन बनेगी। इसमें भारत के अंदर 262 किलोमीटर लंबी लाइन होगी जबकि बांग्लादेश में 153 किलोमीटर लंबी लाइन बनेगी। सुपरग्रिड का निर्माण कटिहार जिले के कोढ़ा में किया जाएगा। इसके लिए 130-150 एकड़ जमीन का उपयोग होगा।
गया और रोहतास के बाद बिहार का तीसरा सुपरग्रिड, भविष्य में विस्तार
4300 करोड़ की राशि खर्च होगी परियोजना पर, 765 केवी होगी इस नए सुपरग्रिड की क्षमता, 800 मेगावाट बिजली बांग्लादेश को जाएगी, 2022 के अंत तक काम पूरा करने का लक्ष्य
भारत और बांग्लादेश की पावर ग्रुप की बैठक में बनी सहमति
पिछले दिनों 18वीं इंडिया-बांग्लादेश की संयुक्त स्क्रीनिंग कमेटी के पावर सेक्टर ग्रुप की बैठक में सुपरग्रिड निर्माण पर सहमति बनी। बांग्लादेश ने बिहार होकर बिजली लेने की इच्छा जताई। इसके बाद कटिहार में सुपरग्रिड के निर्माण का निर्णय लिया गया। इसका निर्माण पावरग्रिड ऑफ इंडिया करेगा।
उत्तर बिहार के अलावा राजधानी पटना को भी इससे होगा लाभ
सुपरग्रिड बनने से राजधानी पटना तक को सीधा लाभ होगा। ट्रांसमिशन लाइन से किशनगंज-पूर्णिया लाइन भी जुड़ा होगा। पूर्णिया का ट्रांसमिशन लाइन पटना व अन्य प्रक्षेत्रों से भी जुड़ा है। लिहाजा इन सारे क्षेत्रों को लाभ होगा। बांग्लादेश से बिजली ट्रांसमिशन लाइन से जुड़ने के बाद बिहार देश का ऐसा पहला राज्य होगा जो तीन देशों से सीधे जुड़ेगा। इसके पहले वह भूटान और नेपाल से जुड़ चुका है।