एक दिन बाद गुरुवार काे महाशिवरात्रि के दिन शिव-शक्ति का मिलन हाेगा। इससे पहले मंगलवार एकादशी तिथि को प्राचीन परंपरा के अनुसार देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ और मां पार्वती के मंदिर समेत सभी 22 मंदिरों के शिखर पर स्थापित पंचशूल उतारे गए। साथ ही उनका मिलन कराया गया। पंचशूल के उतरते ही उनका स्पर्श करने और माथे से लगाने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। बाबा वैद्यनाथ और माता पार्वती के मंदिर का गठबंधन भी रुक गया है। विशेष पूजा के बाद बुधवार को सभी पंचशूल पुन: मंदिरों के शिखर पर स्थापित किए जाएंगे। इधर, 1994 से निकाली जा रही शिव बारात 27 सालों में पहली बार नहीं निकाली जाएगी। यह निर्णय कोरोना संक्रमण को देखते हुए शिवरात्रि महोत्सव समिति के सदस्यों ने लिया है।
59 साल बाद बन रहा विशेष संयोग
हिदू धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। कहा जाता हैं कि भगवान भोलेनाथ की लीला अपरंपार है, वह अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो भी भोलेनाथ की पूजा अर्चना विधि विधान के साथ करता है, उसका जीवन सुखमय हो जाता है। आचार्य पंडित उमाशंकर पांडेय ने बताया कि इस महाशिवरात्रि को खास संयोग बन रहा है।
जो साधना-सिद्धि के लिए खास महत्व रखता है। इस दिन 5 ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति होने के साथ शनि और चंद्र मकर राशि, बुध कुंभ राशि, गुरु धनु राशि और शुक्र मीन राशि में होंगे। यह दिन इन राशियों के जीवन में बड़ा बदलाव लाएगा। ऐसा विशेष संयोग 59 साल पहले बना था। इससे पहले ग्रहों की स्थिति और ऐसा योग साल 1961 में बना था। इस दिन अलग विधि विधान के साथ दान करने का महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पर एक लोटा जल चढ़ाने से ही भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
मंदिरों समेत शिवालयों की हो रही आकर्षक सजावट :
महाशिवरात्रि के मौके पर जिला मुख्यालय समेत प्रखंड क्षेत्र के तमाम शिवालयों को फूल-माला व विद्युत झालरों से आकर्षक तरीके से सजाया जा रहा है। कई स्थानों पर शिव-पार्वती की बरात और विवाह का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर शिवालयों पर भक्तों की भीड़ होगी और मेला लगेगा। शहर के महादेवा स्थिति पंचमुखी शिव मंदिर, दरबार रोड स्थित भावनाथ मंदिर, साधना-सिद्धि के लिए खास महत्व रखता है। श्रीनगर स्थित शिव मंदिर, मेहंदार स्थित महेंद्रनाथ मंदिर, गुठनी स्थित सोहागरा धाम, मैरवा स्थित हरिराम ब्रह्म धाम, अकोल्ही स्थित अनंतनाथ धाम समेत सभी शिव मंदिरों पर दर्शन पूजन और जलाभिषेक के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस दिन जिला मुख्यालय समेत महाराजगंज व अन्य प्रखंडों में धूमधाम से शिव बरात भी निकाली जाती है।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि :
महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले सुबह स्नान करके भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद भगवान शंकर को केसर के आठ लोटे जल चढ़ाएं। इस दिन पूरी रात दीपक जलाकर रखें। भगवान शंकर को चंदन का तिलक लगाएं। तीन बेलपत्र, भांग धतूर, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और दक्षिणा चढ़ाएं। सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें। पूजा में सभी उपचार चढ़ाते हुए’ॐ नम: शिवाय’मंत्र का जाप करें।