आज हम आपके सामने बिहार के सितामढ़ी जिले की एक ऐसी महिला की कहानी उजागर करने वाले है जिसे गांव के लोग मर्दानी कहते हैं. दरअसल सीतामढ़ी के बसौल गांव की सुखचैन देवी बाल काटने का काम करती हैं. बाल काटना एक ऐसा पेशा है जो ज्यादातर पुरुष वर्ग किया करते है. लेकिन लॉकडाउन में पति का रोजगार छिन जाने के कारण हताश और निराश सुखचैन देवी ने परिवार चलाने के लिए बाल काटने का काम खुद करना शुरु कर दिया.
दरअसल लॉकडाउन के दौरान आर्थिक बोझ से सुखचैन देवी का पूरा परिवार दबता जा रहा था. ऐसे में सुखचैन देवी ने अपने जीविका को आगे बढ़ाने के लिये कंघी और कैंची का सहारा लिया. अपने गांव के आसपास के इलाके में घूम-घूमकर आज सुखचैन देवी लोगों की हजामत बनाने का काम करती हैं. इस काम से सुखचैन देवी को 200 से 250 रुपये की आमदनी रोजाना हो जाया करती है, जिससे उनका परिवार दो वक्त का रोटी खा रहा है.
तो वहीं इस पर सुखचैन देवी ने बताया कि यह काम करने में थोड़ी भी परेशानी नहीं है और न ही शर्म. वो चाहती हैं कि सरकार से उसे सरकारी योजना का लाभ मिल सके, ताकि उनकी जिंदगी और आसान हो सके. आपको बता दें कि बाजपट्टी के ही पथराही गोट में सुखचैन देवी की शादी हुई थी. बीमारी से उनके पति की मौत हो गई, जिसके कुछ दिनों के बाद ससुराल और मायके वाले के सहमति के बाद उसकी दूसरी शादी देवर रमेश से कर दी गई