सुबह-सुबह मॉर्निंग वाक के दौरान अगर कोई झाड़ू वाला सफाई करते दिख जाए तो उन्हें नजरअंदाज न करें बल्कि उनका सहयोग करें। इनसे मिलिए ये हैं सफाई को लेकर जुनूनी मनोज कुमार जो जमालपुर केंद्रीय विद्यालय में केमिस्ट्री शिक्षक रह चुके हैं। इसी साल 29 फरवरी को मनोज कुमार ने सफाई अभियान में तेजी लाने के लिए केंद्रीय विद्यालय की अच्छी खासी नौकरी से वीआरएस ले लिया है।
पहले सप्ताह में एक दिन सैंडिस की सफाई करने वाले मनोज और उनके सहयोगी अब सप्ताह के सातों दिन मैदान की सफाई में लग गए हैं। बुधवार से मोहल्ला सफाई अभियान भी इन्होंने शुरू कर दिया है। 27 वर्षों से केंद्रीय विद्यालय में कार्यरत मनोज कुमार ने कहा कि पढ़ने और पढ़ाने के प्रति लोगों की रुचि है। मगर खुद से कचरा उठाकर साफ करना कोई नहीं चाहता है। मैंने इसी को चुना।
उन्होंने कहा कि सफाई से ही देश में जनजागरूकता लायी जा सकती है। मेरे इस फैसले में मेरी पत्नी डॉ. सीता भगत, बेटी डॉ. नेहा भारती एवं बेटा निशांत नयन का भी समर्थन है। बच्चे जब आते हैं तो वह भी मेरे अभियान में हाथ बंटाते हैं। बेटी डॉ. नेहा ने कहा कि पापा अच्छा काम कर रहे हैं। उनके चेहरे पर काफी संतुष्टि रहती है।
मनोज कुमार की पत्नी डॉ. सीता भगत ने कहा कि वे 30 सालों से सफाई करते आ रहे हैं। हमारी छुट्टी और पर्व-त्योहार सभी सफाई करने में ही गुजर जाती है। डॉ. सीता ने पटना कंकड़बाग स्थित पार्क की सफाई की। अब उस पार्क में लोग आने-जाने लगे हैं। कोलकाता में बेटी तो कोच्चि में बेटे के हॉस्टल की सफाई की तो सभी देखते रह गए। ट्रेन से सफर के दौरान बोगी के अंदर और प्लेटफॉर्म की भी सफाई हमलोग मिलकर करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे आत्म संतुष्टि मिलती है। बच्चे भी सही रास्ते पर हैं। बेटी डॉक्टर तो बेटा इंजीनियर है।
उन्होंने कहा कि सफाई के प्रति सोच विकसित करना जरूरी है। इसके तहत मोहल्लों में जाकर लोगों के बीच जनजागरूकता फैलायी जाएगी। कोरोना, डेंगू सहित कई बीमारियों की वजह गंदगी है। सिर्फ गंदगी फैलाना लोग छोड़ दें तो 80 प्रतिशत सफाई खुद ब खुद हो जाएगी। इसलिए लोगों को गिफ्ट में झाड़ू भी देते हैं।