
आज सहरसा 68 वर्ष का हो गया । आज के ही दिन 1954 ई0 में यह भागलपुर से अलग होकर एक नया जिला बना था । कोसी के शाप से अभिशप्त यह इलाका कागज पर तो अलग जिला तो बन गया लेकिन इतने वर्षों बाद भी यह सहर-सा शहर होने को तरस गया ।
इतने लंबे अरसे के बाद भी यह भले यह बड़ा शहर नहीं बन सका हो, लेकिन रफ्ता- रफ्ता यह शहर जरूर बनता जा रहा है। रेल व सड़क मार्ग का लगातार विकास होता जा रहा है। इसके साथ-साथ व्यापार के क्षेत्र में भी शहर का विस्तार हो रहा है। चार नए नगर पंचायत, दो नगर परिषद के साथ ही शहरी सुविधाओं के बढ़ने की संभावना बनी है।
प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त यह जिला धार्मिक, पौराणिक ²ष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा है। एक अप्रैल 1954 को भागलपुर से अलग होकर सहरसा जिला बना था। स्थापना के समय जिला के अन्तर्गत तीन अनुमंडल सहरसा सदर, मधेपुरा एवं सुपौल तथा 15 थाने थे। वर्ष 1965 में खगड़िया अनुमंडल के फरकिया परगना (सिमरीबख्तियारपुर व कोपरिया) को जोड़कर इस जिले के भूखंड को बढ़ाया गया। परंतु, विकास की संभावनाओं को तरजीह दिए जाने के कालक्रम में 09 मई 1981 को मधेपुरा तथा 14 मार्च 1991 को सुपौल को जिला बना दिया गया। इन साढ़े छह दशक के कार्यकाल में जिले का विकास भी हुआ, परंतु इसकी गति काफी कम रही। आजादी के इतने समय बाद भी जिले की बड़ी आबादी वर्ष में छह महीना बाढ़ की समस्या झेलती है। जिले के दस में पांच प्रखंड बाढ़ प्रभावित हैं तो शेष पांच में सुखाड़ की समस्या बनी रहती है। तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों के सामने स्वास्थ्य, सड़क व रोजगार की समस्या है।

एक अप्रैल 1954 से पहले सहरसा जिला भागलपुर प्रमंडल का हिस्सा था। वहीं मगध साम्राज्य के विस्तारवाद का शिकार होने से पहले मिथिला राज्य का भी हिस्सा था।
बनमनखी-फारबिसगंज सड़क पर सिकलीगढ़ और किशनगंज पुलिस स्टेशन पास मिले मौर्य स्तंभ से भी सहरसा जिला के मिथिला का हिस्सा रहने की बात प्रमाणित हो चुकी है। प्राचीन काल में कुशिक राय मिथिला, चम्पारण्य, अंगुतराय और तीरभुक्ति में समाहित सहरसा जिला को वर्ष 1943 में उपजिला और एक अप्रैल 1954 को जिला बना था। वर्ष 1954 में भागलपुर जिले से उत्तराखंड और निशंकपुर परगना को अलग कर इस जिले का गठन किया गया। 15 नवम्बर 1965 को मुंगेर जिले के खगड़िया अनुमंडल से फरकिया परगना के भाग सिमरी बख्तियारपुर और कोपरिया को सहरसा में शामिल कर जिले के क्षेत्रफल का विस्तार किया गया। 9 मई 1981 को मधेपुरा तथा 14 मार्च 1991 को सुपौल जिला के सहरसा से अलग स्वतंत्र अस्तित्व में आने के बाद यहां के क्षेत्रफल में गिरावट आई। वर्तमान कोसी प्रमंडल का मुख्यालय भी सहरसा में ही अवस्थित है।