आरजेडी के सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने कहा है कि किसान आंदोलन आज मोदी सरकार के समक्ष गंभीर चुनौती बना हुआ है। संयोग है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत बिहार में हैं, लेकिन इस संदर्भ में अभी तक उनकी राय देश के सामने नहीं आई है। उनकी राय देश जानना चाहता है।
शिवानंद ने कहा कि संघ प्रमुख की राय जानने की उत्सुकता इसलिए भी है कि एक ओर बीजेपी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नेता आरोप लगा रहे हैं कि इस आंदोलन को खालिस्तान समर्थक या टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग चला रहे हैं। यहां तक कि पीएम ने भी आरोप लगाया है कि किसानों के हित में बनाए गए इन ऐतिहासिक कानूनों के खिलाफ विरोधी दल के लोगों ने अफवाह फैलाकर उनके अंदर भ्रम फैलाया है। दूसरी ओर, देश का कोई भी किसान संगठन इस आंदोलन का विरोध नहीं कर रहा है।
शिवानंद तिवारी ने दावा किया कि यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़े भारतीय किसान संघ ने भी इन नए कानूनों का समर्थन नहीं, विरोध किया है। स्वदेशी जागरण मंच जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ही अनुषांगिक संगठन है, वह भी इन कानूनों में बदलाव की जरूरत महसूस कर रहा है। ऐसे में संघ प्रमुख होने के नाते इस समय मोहन भागवत की राय जानने की उत्सुकता देश भर के लोगों को है।
बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 5 और 6 दिसंबर को अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पटना पहुंचे हैं। बैठक में बिहार और झारखंड के पदाधिकारी शामिल हो रहे हैं। बैठक में वर्तमान में चल रहे संघ के सभी कार्यों की समीक्षा की जाएगी वहीं आगामी वर्ष की कार्ययोजना की रूपरेखा तय होगी । बैठक के एजेंडे में संघ के स्वयंसेवकों की ओर से किए गए कार्यों की समीक्षा और कोरोना काल में प्रभावित जनजीवन व शिक्षा पर चर्चा शामिल है। बैठक में स्वावलंबन, स्वदेशी, संगठन विस्तार आदि पर भी चर्चा की जाएगी।