बिहार की उच्च शिक्षा में कोरोना संकट से उत्पन्न गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में राजभवन ने अपने कदम बढ़ा दिए हैं। साथ ही विश्वविद्यालयों की लेटलतीफी पर सख्त रुख अख्तियार किया है। उसने सभी विश्वविद्यालयों को दो-टूक निर्देश दिया है कि पूर्व की सभी लंबित परीक्षाएं मौजूदा सत्र में ही ले ली जाएं।
राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान के निर्देश पर विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि सभी विश्वविद्यालय इस तरह परीक्षा कैलेंडर बनाएं कि पूर्व की लंबित तमाम परीक्षाएं मौजूदा शैक्षिक सत्र में ही ले ली जाएं। साथ ही परीक्षाफल भी प्रकाशित कर दिए जाएं, जिससे 2021-22 के शैक्षणिक सत्र को आरंभ करने में कोई देर न हो।
राज्यपाल सह कुलाधिपति के निर्देश पर सोमवार को राज्य के पांच विश्वविद्यालयों के कामकाज की समीक्षा बैठक के दौरान राज्यपाल के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने लंबित परीक्षाओं के लिए जल्द परीक्षा कैलेंडर बनाकर राजभवन को सौंपने का निर्देश दिया। जिन पांच विश्वविद्यालय के कामकाज की सोमवार को राजभवन में समीक्षा हुई उनमें पटना यूनिवर्सिटी, मगध यूनिवर्सिटी, वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी, पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी और मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी यूनिवर्सिटी शामिल रहे। इनके कुलसचिव बैठक में शामिल थे, जबकि बैठक चैतन्य प्रसाद ने ली।
पटना यूनिवर्सिटी छोड़कर शेष चार में परीक्षाओं के आयोजन में देरी
समीक्षा बैठक के दौरान यह बात सामने आयी कि पटना यूनिवर्सिटी को छोड़कर शेष चार यूनिवर्सिटी में परीक्षाओं के आयोजन विलंबित चल रहे हैं। इससे पूर्व 4 दिसम्बर को आठ यूनिवर्सिटी के कामकाज की समीक्षा हुई थी। जानकारी के मुताबिक पटना और मिथिला यूनिवर्सिटी में सत्र समय पर चल रहे हैं जबकि जेपी, मगध, बीआरए बिहार, बीएन मंडल, वीरकुंवर सिंह यूनिवर्सिटी आदि के लाखों विद्यार्थियों का सत्र डेढ़ से ढाई साल तक विलंबित चल रहा है। ज्यादातर जगह जहां स्नातक स्तर के सत्र प्राय: समय पर हैं वहीं समस्या पीजी के सत्र को लेकर है। सोमवार को हुई विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा के दौरान संबंधित विश्वविद्यालयों को शीघ्र परीक्षाएं आयोजित कराते हुए परीक्षाफल प्रकाशित कराने को कहा गया।