बिहार विधानसभा में NRC-NPR के खिलाफ प्रस्ताव पास होने का क्रेडिट भले ही तेजस्वी यादव आगे बढ़कर ले रहे हैं, मगर सच्चाई यह है इस संबंध में कार्यस्थगन प्रस्ताव भाकपा माले के तीन विधायकों ने पेश किया था। भाकपा के तीन विधानसभा सदस्य सत्यदेव राम, सुदामा प्रसाद, और महबूब आलम के विरोध का परिणामस्वरूप ही विधानसभा में आनन-फानन में यह प्रस्ताव पास हो पाया । इन्हीं लोगों ने प्रस्ताव पारित करने की मांग रखी थी। जब विधानसभा में यह बहस चल रही थी, तब भाकपा माले नेता बाहर प्रदर्शन कर रहे थे।
लेकिन फिर भी सियासी हलकों में ये खबर है कि कन्हैया कुमार का अभियान आखिरकार रंग ले आया । सीएम नीतीश कुमार चुनावी हार के डर से एनआरसी के विरोध में प्रस्ताव लेकर आ ही गए। एक मत से विधान सभा में भाजपा-जदयू-राजद ने एनआरसी का विरोध किया। कन्हैया कुमार पिछले कई दिनों से बिहार भर में रैलीकर सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं। उनकी रैलियों में अपार जन समर्थन प्राप्त हो रही है।
जातीय गणना का प्रस्ताव पुन: पारित कर भेजा जाए : सीएम ने कहा, जातीय जनगणना को लेकर 18 फरवरी 2019 को सर्वसम्मत प्रस्ताव भेजा जा चुका है। पुन: प्रस्ताव पारित कर भेजा जाए क्योंकि जनगणना शुरू होने वाली है, यह भी साथ-साथ हो जाए।
कांग्रेस में रहीं नजमा हेपतुल्ला भी पक्ष में थीं : मुख्यमंत्री ने कहा कि सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 2003 के समय उप सभापति नजमा हेपतुल्ला कांग्रेस में ही थीं। उन्होंने उप प्रधानमंत्री आडवाणी जी को कहा था कि पकिस्तान में अल्पसंख्यक भी पीड़ित हैं। उनका भी ध्यान रखने की आवश्यकता है। उप प्रधानमंत्री ने कहा था कि मैं इन बातों से पूर्ण सहमत हूं।
सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 2003 के समर्थन में थी कांग्रेस : मुख्यमंत्री ने कहा कि सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट जो 2003 का था उस समय संसद में तत्कालीन नेता विरोधी दल और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ। मनमोहन सिंह ने कहा था कि हमलोग सरकार के इस कदम के पूर्ण समर्थन में हैं। देश विभाजन के बाद बांग्लादेश जैसे देशों में अल्पसंख्यकों ने उत्पीड़न सहा। यह हमारा नैतिक दायित्व है कि यदि परिस्थितियां इन बदकिस्मत लोगों को हमारे देश में शरण लेने के लिए बाध्य करती हैं तो इनको नागरिकता देने में हमें उदार होना चाहिए। मैं आशा करता हूं कि माननीय मंत्री जी इनके विषय के बारे में फैसला लेते वक्त इस बात को ध्यान में रखेंगे।