शराबबंदी कानून को लेकर चौतरफा आलोचना से घिरे सरकार को एक बड़ा झटका तक लगा जब इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने एक बार फिर से बिहार सरकार से जवाब तलब किया है । शराबबंदी कानून को लेकर बुधवार को हुए सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा है कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद राज्य की अदालतों में दो लाख से भी अधिक शराबबंदी के मामले पेंडिग हैं । इनका निपटारा किस तरह से होगा. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और रजिस्ट्रार जनरल से इस मामले को लेकर जवाब मांगा है ।
बुधवार को पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुधीर सिंह की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से सवाल किया है कि “इतनी बड़ी संख्या में जो ये मुकदमें पड़े हैं, उनका कैसे निबटारा होगा”? जवाब में राज्य सरकार ने भी सवाल करते हुए कहा कि “इन मामलों की सुनवाई के लिए बड़े पैमाने पर जजों व बुनियादी सुविधाओं की जरूरत होगी, लेकिन ये सब कैसे होगा”?
वहीँ न्यायलय ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में शराबबंदी संबंधी मामलों की सुनवाई व निपटारे के लिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरत है । न्यायलय ने इस बात पर चिंता जताई कि शराबबंदी के मामले में मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन जजों की संख्या और अन्य सुविधाएँ आज भी काफी कम हैं । इस मामले पर 24 अक्टूबर को फिर से सुनवाई की जाएगी ।
आपको बता दें कि बिहार में साल 2016 में शराबबंदी कानून लागू हुआ । इस कानून के लागू होने के बाद से अबतक राज्य की अदालतों में दो लाख से भी अधिक शराबबन्दी के केस लम्बित पड़े है । इसी मामले पर बुधवार को पटना उच्च न्यायलय में सुनवाई हुई । इस सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और रजिस्ट्रार जनरल से जवाब माँगा है । कोर्ट ने बिहार सरकार से जवाब तलब किया है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में जो ये मुकदमें पड़े हैं, उनका कैसे निबटारा होगा ?