सिटिजन अमेंडमेंट बिल (Citizen Amendment Bill) संसद में पास हो गया, लेकिन इसपर सियासत अब भी जारी है। खास तौर पर बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) में इस मुद्दे के बाद से नई संभावानाओं की तलाश शुरू हो गई है। इस बिल को जिस तरह के जेडीयू ने खुला समर्थन दिया और इस पर जैसे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने विरोध किया, इसको लेकर जेडीयू के भीतर काफी उथल-पुथल है। बताया जा रहा है कि इस मामले को लेकर पार्टी के अल्पसंख्यकों में भी काफी असंतोष है। दूसरी ओर पीके भी अपना मुखर विरोध जारी रखे हुए हैं और गुरुवार को भी एक ट्वीट के जरिए सीएबी और एनआरसी (NRC) को लेकर आशंकाएं जाहिर की। वहीं पीके के इस तेवर को देखते हुए उन्हें महागठबंधन (Grand allaince) में शामिल होने का ऑफर भी मिल गया है।
‘महागठबंधन में होगा स्वागत‘
पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) ने प्रशांत किशोर को ऑफ़र देते हुए कहा कि वे जेडीयू का पद त्याग कर महागठबंधन में आ जाएं। आरएलएसपी के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने कहा कि अगर वे आएंगे तो हम सबलोग करेंगे उनका स्वागत करेंगे।
‘महागठबंधन में मिलेगा सम्मान‘
माधव आनंद ने कहा कि मेरे भी प्रशांत किशोर से अच्छे संबंध हैं और मैं भी उनसे बात करूंगा। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर प्रसिद्ध रणनीतिकार हैं, स्वभाविक है अगर वो हमें रणनीति बनाने में मदद करते हैं और महागठबंधन की तरफ़ आएंगे तो उनको मान-सम्मान मिलेगा। यह बिहार के लिए भी अच्छा होगा।
‘पीके ने उठे वाजिब सवाल‘
माधव आनंद ने प्रशांत किशोर के उठाए सवालों पर कहा कि वे बिल्कुल सही बात कर रहे हैं। आखिर नीतीश कुमार किन लोगों के आधार पर सत्ता में आए थे ? किन लोगों ने आपको वोट दिया था? बता दें कि बुधवार को भी प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार पर तंज कसा था।
पीके ने किया था ये ट्वीट
उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा था, नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने ले पहले जेडीयू नेतृत्व को उनलोगों के बारे में भी सोचना चाहिए जिन्होंने 2015 में उनपर भरोसा और विश्वास जताया था। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि 2015 की जीत के लिए पार्टी और इसके प्रबंधकों के पास जीत के बहुत रास्ते नहीं बचे थे।