देश में कोरोना ने धीरे-धीरे ही सही पैर पसारना चालू कर दिया है । दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से बसों में भरकर प्रवासियों को वापस गांव भेजने की खबर आने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कह दिया था कि इससे लॉकडाउन फेल हो जाएगा। कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। उनके आशंका व्यक्त करने के बाद भी दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों से पैदल ही अपने गांव की ओर निकल पड़े लोगों की मदद के लिए बसें रवाना कर दी गईं। नोएडा और गाजियाबाद से बिहार के लिए बसें चल पड़ीं। इस सूचना के बाद मुख्यमंत्री ने उच्चस्तरीय बैठक कर सीमा पर वाहनों को रोकने और यात्रियों के लिए आपदा सीमा राहत शिविर लगाए जाने का फैसला लिया।
इसी बीच पप्पू यादव ने कहा कि अगर बिहार सरकार से नहीं संभल रहा है तो हमें दें विशेष अनुमति हम रखेंगे उन सभी को । हम करेंगे उन सभी के रहने और खाने का इंतजाम ।
मुख्यमंत्री जी
क्या राज्य के बॉर्डर पर हजारों बिहारी प्रवासी मज़दूर को अपने बिहार में आने से रोकना बिहारी अस्मिता का अपमान नहीं है? क्या अपने ही राज्य में उन्हें अपमानित किया जाएगा?
नहीं संभलता है तो विशेष अनुमति दें,मैं सबके लिए रहने-खाने की व्यवस्था कर सकता हूं। @NitishKumar
— Sewak Pappu Yadav (@pappuyadavjapl) March 29, 2020
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लॉकडाउन को देखते हुए मजदूरों और प्रवासियों को उनके घर भेजे जाने के यूपी और दिल्ली सरकार के फैसले का विरोध किया है। मुख्यमंत्री ने मजदूरों के लिए बसों की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली या कहीं और से लोगों को बुलाने से समस्या और बढ़ेगी। इससे प्रधानमंत्री का लॉकडाउन फेल हो जाएगा। हम चाहते हैं कि लाॅकडाउन की स्थिति में जो लोग जहां पर भी हैं, वहीं उनके रहने-खाने की व्यवस्था की जाए। बसों से लोगों को बुलाने से लॉकडाउन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। दिल्ली सरकार ने बसों के जरिए लोगों को पहुंचाने की व्यवस्था की है। यूपी सरकार ने 200 बसों का इंतजाम किया है। विशेष बस से लोगों को भेजना एक गलत कदम है। इससे बीमारी और फैलेगी जिसकी रोकथाम और उससे निबटना सबके लिए मुश्किल होगा। बेहतर होगा कि स्थानीय स्तर पर ही कैम्प लगाकर लोगों के रहने और खाने का इंतजाम किया जाए।