मधेपुरा से लोकसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) अब विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) लड़ेंगे. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि मधेपुरा और पूर्णिया की राजनीति करने वाले पप्पू यादव विधानसभा में पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र की कुम्हरार विधानसभा सीट (Kumharar Assembly Seat) से दावेदारी कर रहे हैं. बातचीत के दौरान पप्पू यादव ने कुम्हरार से चुनाव ल’ड़ने की तैयारी शुरू कर देने की बात कही. यही नहीं, वे सिर्फ कुम्हरार से ही नहीं, बल्कि मधेपुरा विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ेंगे.
पप्पू यादव से जब सवाल पूछा गया कि मधेपुरा और कुम्हरार, दो सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ने की वजह तो उन्होंने कहा, ‘मधेपुरा मेरे लिए मां समान है, जिसे मैं कभी नहीं छोड़ सकता. लेकिन पटना में जब पिछले साल जलजमाव हुआ था, तब सबसे ज़्यादा राजेंद्रनगर का इलाका प्रभावित हुआ था. मैं पटना में ही रहता हूं और मैंने जो कष्ट देखा, उस इलाके का, उस वक़्त मैंने दिन-रात लोगों की सेवा की थी. तभी से मेरा भावनात्मक रिश्ता उस इलाके से हो गया. अब अगर वो इलाका कुम्हरार विधानसभा में है और अगर वहां की जनता चाहेगी तो मैं चुनाव लड़ूंगा.’ जन अधिकार पार्टी (लो) के नेता ने कहा, ‘मधेपुरा मेरी जन्मभूमि है और वहां की मिट्टी मेरे रग-रग में है, सो मैं मधेपुरा से भी चुनाव लड़ूंगा.’
दरअसल, पप्पू यादव जबसे लोकसभा चुनाव हारे हैं, वे लगातार लोगों के बीच में रह रहे हैं. जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब बिहार में रहकर राज्य की सियासत करना चाहते हैं. पप्पू यादव को लगता है कि जलजमाव के दौरान काम करने का फायदा कुम्हरार की जनता से उन्हें मिल सकता है. लेकिन पप्पू के लिए कुम्हरार की लड़ाई आसान नहीं है. कुम्हरार विधानसभा बीजेपी (BJP) के लिए सेफ सीट मानी जाती है, जहां जातीय समीकरण से लेकर बीजेपी के कैडर वोटर की बड़ी आबादी है. यहां के बीजेपी विधायक अरुण सिन्हा कहते हैं, ‘चुनाव लड़ना हर किसी का अधिकार है. पप्पू यादव भी लड़ें, कौन मना कर रहा है. अगर पार्टी इस बार मुझे फिर से उम्मीदवार बनाती है, तो मेरी जीत पक्की है, क्योंकि मैंने अपने विधानसभा के लिए काफी काम किया है.’
कुम्हरार विधानसभा के जातीय समीकरण को देखें तो यहां लगभग 4.50 लाख वोटर हैं. कुम्हरार सवर्ण बहुल विधानसभा क्षेत्र माना जाता है. यहां पर सबसे ज़्यादा कायस्थ वोटर हैं, जिनकी आबादी लगभग एक लाख है. बाकी दूसरी सवर्ण जातियों की आबादी लगभग डेढ़ लाख के आसपास है. वहीं इस विधानसभा में यादव 45 हजार, मुस्लिम 35 हजार, दलित 40 हजार, वैश्य 40 और कुर्मी वोटर की आबादी लगभग 25 हजार के आसपास है. यह जातिगत समीकरण विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव की कितनी मदद करेगा, यह देखने वाली बात होगी.