राज्य चुनाव आयोग ने बिहार में आगामी पंचायत चुनावों में फर्जी मतदान और मतदाताओं के दोहराव की जांच के लिये बायोमेट्रिक तकनीक का उपयोग करने की योजना बनाई है। देश में ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों में इस तरह की पहली पहल है। इस मामले से परिचित एक शीर्ष अधिकारी ने कहा- राज्य कैबिनेट से मंजूरी के लिये पंचायती राज विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है।
10 चरणों में होने वाले पंचायत चुनावों की अधिसूचना अगस्त के अंत तक आने की उम्मीद है। राज्य चुनाव आयोग की योजना प्रत्येक चरण में प्रत्येक जिले में 2-3 ब्लॉकों में चुनाव कराने की है ताकि नवंबर तक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो सके। अतिरिक्त मुख्य सचिव (पंचायती राज) अमृत लाल मीणा ने कहा- कदाचार की जांच के लिये बायोमेट्रिक सिस्टम का उपयोग करने का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है और जल्द ही इसे मंजूरी दी जायेगी।
इस तरह की पहल सरकार में सर्वोच्च अधिकारियों के निर्देश पर किया जा रहा है ताकि पंचायत चुनावों में मतदाताओं का प्रमाणीकरण किया जा सके। मीणा ने कहा – बायोमेट्रिक उपकरणों से मतदाताओं का प्रमाणीकरण किया जायेगा और एक तस्वीर ली जायेगी। उन्होंने कहा- रियल टाइम डेटा को क्लाउड में स्टोर किया जायेगा, जिससे मल्टीपल या फर्जी वोटिंग के किसी भी प्रयास का तेजी से पता लगाने में मदद मिलेगी।
सभी बूथों पर टैब और प्रमाणीकरण मशीनों के साथ बॉयोमीट्रिक उपकरण लगाये जायेंगे। मतदाताओं को पहले अपने अंगूठे का निशान देने के लिये कहा जायेगा और मतदाता की एक तस्वीर ली जायेगी। त्रिस्तरीय ग्रामीण स्थानीय निकायों में 2.58 लाख पद हैं। धांधली और चुनावी कदाचार की शिकायतें आम हैं। इस बार पंचायत चुनाव पंचायत निकायों में चार पदों के लिये इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के माध्यम से होंगे, जबकि मतपत्रों का उपयोग ग्राम कचहरी के दो पदों पर चुनाव के लिये किया जायेगा। इनके पास ग्राम स्तर पर छोटे विवादों को हल करने की शक्ति है। सरकार को परियोजना पर 28 करोड़ खर्च होने की उम्मीद है, जिसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम द्वारा नियंत्रित किया जायेगा।