सहरसा से करीब 5 किलोमीटर दूर पश्चिम बलहापटी पंचायत स्थित देवना गांव में वानेश्वर नाथ मंदिर है। यह स्थान देवनवन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
यहां मंदिर का निर्माण कब हुआ इसकी जानकारी किसी को नहीं है। बुजुर्ग बताते हैं कि आदि काल में यह स्थान जंगल से घिरा था। यहां वानासुर नामक राक्षस का निवास था। वानासुर राक्षस हिरणकश्यप का वंशज था। वानासुर नामक राक्षस ने ही यहां महादेव मंदिर एवं वनदेवी मंदिर की स्थापना की एवं पूजा-अर्चना हेतु एक बड़े से तालाब की खुदाई खुद की। वह महादेव का भक्त था इसलिए इस मंदिर का नाम वानेश्वरनाथ मंदिर पड़ा।
वैसे तो इस मंदिर के स्थापना की कई दंत कथाएं है। जिसमें कहा जाता है कि यह स्थान जंगल से घिरा था, चरवाहे गाय चराने जंगल जाते थे एक गाय प्रतिदिन एक स्थान पर पहुंच अपना सारा दूध गिरा देती थी। चरवाहे को यह आश्चर्य लगा उसने गांव पहुंच लोगों को बताया लोगों ने जब खुदाई की तो महादेव मिट्टी के नीचे से प्रकट हुए।
वर्तमान में मूल मंदिर कोसी के पेट में समा गया है । कोसी के कटावा के कारण मंदिर का प्राचीन भाग उसके अंदर समा गया है । बाद में यहाँ के कुछ सहृदय लोगों ने मिलकर नए मंदिर का निर्माण करवाया । सावन के महिने में यहाँ भक्तों की अच्छी खासी भीड़ रहती है ।
पहुँचने का मार्ग :
निकटतम रेलवे स्टेशन : सहरसा जंक्शन (5 किलोमीटर)
निकटतम हवाई अड्डा – दरभंगा (150 किलोमीटर)