लोकप्रियता की लालच में गरीबों के बीच खाने-पीने की वस्तुओं का वितरण भारी पड़ेगा। जिला प्रशासन और प्रमंडल आयुक्त के विमर्श के बाद तय हुआ है कि खाने-पीने की वस्तुओं का वितरण कोई भी जनप्रतिनिधि या सामाजिक कार्यकर्ता खुद नहीं करेगा। यह कदम जिला प्रशासन ने असुरक्षित ढंग से हजारों गरीबों के बीच बिना किसी जांच-पड़ताल खाने की वस्तुओं के वितरण को गंभीरता से लेते हुए उठाया है।अधिकारियों का कहना है कि गिने-चुने लोगों के बीच खाने का पैकेट और पीने का पानी वितरण करने के क्रम में लोग लॉक डाउन के मानदंडों का भी पालन नहीं कर पा रहे हैं। इसकी वजह से को/रोना वाय/रस संक्र/मण का खतरा और अधिक बढ़ जा रहा है।
खाद्य वस्तुओं की होगी जांच
गरीबों के बीच खाना वितरण से पहले प्रशासनिक स्तर पर इसकी गुणवत्ता ही जांच की जा रही है। दूसरी ओर, सामाजिक कार्यकर्ता और कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा वितरित किए जाने वाले खाने-पीने की वस्तुओं की जांच नहीं करवायी जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए जिला प्रशासन जांच के स्रोत बनाने में जुटा हुआ है। जिला प्रशासन हर स्तर पर सतर्क है।
कृष्ण मेमोरियल में कराना होगा भंडारण
जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि अभी जिस भी सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता में गरीबों में खाद्य सामग्री वितरण की सेवा भावना है, उसे जिला प्रशासन द्वारा चिन्हित कृष्ण मेमोरियल में भंडारण कराना होगा। यहां से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के नेतृत्व में इन सामग्रियों का विरतण जरूरतमंदों के बीच किया जाएगा। यदि कुछ लोग खुद के हाथों सामग्री वितरण करना भी चाह रहे हैं तो इसके लिए निर्धारित मानदंड और खाद्य सामग्री की जांच-पड़ताल के बाद जिला प्रशासन से अनुमति लेने की अनिवार्यता होगा।
इस पर पटना प्रमंडल के आयुक्त संजय कुमार अग्रवाल ने कहा है कि जहां प्रशासन खाद्य वस्तुओं की जांच करके लोगों के बीच खाना-पानी पहुंचा रहा है, वहीं कुछ लोग भीड़भाड़ के बीच लॉक डाउन के नियमों को तोड़ते हुए खाने-पीने का पैकेट बांट रहे हैं। इसके लिए लोगों को जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।