बिहार विधानसभा चुनाव के बीच शराबबंदी पर विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने यह कहकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया कि शराबबंदी कानून की समीक्षा होनी चाहिए, क्योंकि इसके कारण बड़ी संख्या में बेकसूर लोग भी जेल जा रहे हैं। वहीं, बेगूसराय में चिराग पासवान ने कहा कि बिहार में शराबबंदी की गई लेकिन होम डिलीवरी बड़े-बड़े लोगों के घर तक पहुंचाया जा रहा है जिसका कमीशन सबके पास जाता है। इससे पहले कांग्रेस भी अपने घाेषणापत्र में ही शराबबंदी की समीक्षा करने की बात कही है।
जीतनराम मांझी ने कहा कि बड़ी संख्या में ज्यादातर दलित और महादलित जेल भेजे जा रहे हैं। यह कानून गरीब विरोधी है। जमीनी स्तर पर इस कानून का सही तरीके से अनुपालन नहीं हो पा रहा है। मांझी ने आरोप लगाया कि पुलिस और एक्साइज डिपार्टमेंट के बड़े माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की जगह सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को पकड़ रहे हैं। मांझी ने कहा कि अगर हमारी सरकार बनती है तो उन मुकदमों की समीक्षा की जाएगी जिसमें पुलिस द्वारा गरीब लोगों को पकड़ा गया है।
मांझी गया के इमामगंज से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका यह बयान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषित राय के खिलाफ है। नीतीश शराबबंदी को अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानते हैं। खासबात यह है कि हम एनडीए के गठबंधन में शामिल है जदयू ने उसे अपने कोटे से इस चुनाव में सात सीटें दी हैं। मांझी के महागठबंधन से बाहर जाने के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें एनडीए में शामिल किया है।